Thursday, December 4, 2008

मेरा प्यारा सा बच्चा

मेरा प्यारा सा बच्चा
गोद में भर लेती है बच्चे को
चेहरे पर नजर न लगे
माथे पर काजल का टीका लगाती है
कोई बुरी आत्मा न छू सके
बाँहों में ताबीज बाँध देती है।

बच्चा स्कूल जाने लगा है
सुबह से ही माँ जुट जाती है
चैके-बर्तन में
कहीं बेटा भूखा न चला जाये।
लड़कर आता है पड़ोसियों के बच्चों से
माँ के आँचल में छुप जाता है
अब उसे कुछ नहीं हो सकता।

बच्चा बड़ा होता जाता है
माँ मन्नतें माँगती है
देवी-देवताओं से
बेटे के सुनहरे भविष्य की खातिर
बेटा कामयाबी पाता है
माँ भर लेती है उसे बाँहों में
अब बेटा नजरों से दूर हो जायेगा।

फिर एक दिन आता है
शहनाईयाँ गूँज उठती हैं
माँ के कदम आज जमीं पर नहीं
कभी इधर दौड़ती है, कभी उधर
बहू के कदमों का इंतजार है उसे
आशीर्वाद देती है दोनों को
एक नई जिन्दगी की शुरूआत के लिए।

माँ सिखाती है बहू को
परिवार की परम्परायें व संस्कार
बेटे का हाथ बहू के हाथों में रख
बोलती है
बहुत नाजों से पाला है इसे
अब तुम्हें ही देखना है।

माँ की खुशी भरी आँखों से
आँसू की एक गरम बूँद
गिरती है बहू की हथेली पर। 

कृष्ण कुमार यादव                      
भारतीय डाक सेवा  | वरिष्ठ डाक अधीक्षक
कानपुर मण्डल, कानपुर-208001
Kkyadav.y@rediffmail.com

19 comments:

* મારી રચના * said...

apne khoon paseene se.. har taqlwwf sahekar bete ko bada kiya ..kisi ke haatho sopne keliye... anth mai likhi hui panktiyaa *आँसू की एक गरम बूँद
गिरती है बहू की हथेली पर।* kafi kuch kah jati hai... bahut hi bhaavpurna likha hai aapne..

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World said...

माँ व्यक्ति के जीवन का सबसे पवित्र और महान रिश्ता है. यह जीवन की बुनियाद है. माँ पर बहुतों ने कलम चलायी है, पर आपने जिस तरह से माँ की बच्चे के प्रति सोच और भावनाओं को शब्द दिए हैं, अद्भुत है. आपके एक-एक शब्द माँ के प्रति प्रेम से ओत-प्रोत हैं ........इस कविता के लिए आपको ढेर सारी बधाइयाँ. कुछ पंक्तियां तो वाकई दिल को छू जा जाती हैं-
लड़कर आता है पडोसियों के बच्चों से
माँ के अंचल में छुप जाता है
अब उसे कुछ नही हो सकता
..........................
शहनाईयां गूंज उठती हैं
माँ के कदम आज जमीं पर नही
कभी इधर दौड़ती है कभी उधर
....................
माँ सिखाती है बहू को
परिवार की परम्पराएँ और संस्कार
.........................
आंसू की एक गरम बूँद
गिरती है बहू की हथेली पर।
.......................

Anonymous said...

Bahut2 badhai krishna kumar ji.Maa kavita ko padhkar meri ankhon se ansu nikal pade. dil ko chhune wali aisi kavita ek lambe antral ke bad padhne ko mili!!!!

Ram Shiv Murti Yadav said...

क्या भाव हैं इस कविता में. ऐसे लगता है मानो पूरे जीवन को एक माला में पिरोकर रख दिया हो. ये पंक्तियाँ बड़ी मर्मस्पर्शी हैं -
माँ की ख़ुशी भरी आँखों से
आंसू की एक गरम बूँद
गिरती है बहू कि हथेली पर.

Unknown said...

के.के. यादव लिख ही नहीं रहे हैं, बल्कि खूब लिख रहे हैं. एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ-साथ अपनी व्यस्तताओं के बीच साहित्य के लिए समय निकलना और विभिन्न विधाओं में लिखना उनकी विलक्षण प्रतिभा का ही परिचायक है. इस हेतु के. के. जी को शत्-शत् बधाइयाँ. बस यूँ ही लिखते रहें, जमाना आपके पीछे होगा के.के. जी!

Unknown said...

बड़ी खूबसूरत कविता है. दिल को छू जाती है.

Akanksha Yadav said...

माँ दुनिया का सबसे पवित्र रिश्ता है. अपनी इस कविता में के.के. जी ने माँ और बच्चे के संबंधों का बड़ा रोचक और सारगर्भित चित्र खींचा है. हर पल को उन्होंने जिस तरह शब्दों में ढाला है, वह माँ-बच्चे का शाश्वत सौन्दर्य बनकर प्रस्तुत हुआ है.

नटखट बच्चा said...

इस कविता को अगर समझा है तो रतनेश अंकल ने समझा है

Dr. Brajesh Swaroop said...

Itni sundar kavita kaise likhte ho ap.kuchh hame bhi batao.

Dr. Brajesh Swaroop said...

I have no any words for such a nice poem on Maan...Keep it up Krishna.

बाल भवन जबलपुर said...

कोई शब्द नहीं हैं बाक़ी तारीफ़ के

Asha Joglekar said...

मन को छू लेने वाली रचना ।

Amit Kumar Yadav said...

सहज भाषा..सार्थक बात...सुन्दर प्रस्तुति.
KK जी को ढेरों बधाई.

Amit Kumar Yadav said...

mere blog yuva se bhi juden, khushi hogi.

KK Yadav said...

Thank u Amit ji. I will try.....

KK Yadav said...

I am very thankful to all, who make comment on my poem.These words give me inspiration.
With Regards,

www.dakbabu.blogspot.com said...

भारतीय डाक सेवा के इतने वरिष्ठ अधिकारी की कविता देखकर बांछे खिल गयीं.बहुत भावपूर्ण कविता है.

KK Yadav said...

धन्यवाद मित्रों, आप सभी को 'बड़ा दिन' और 'नव वर्ष की' ढेरों शुभकामनायें.

शोभना चौरे said...

ak kvita me sansar ki sabhi matao ka apne beto ke prti aseem prem aur maa ke krtvyo ko rekhankit kiya hai .bete ko sanskarit kar bah koapni sari prmpraye virasat me dekar advitiy udahran.
dhnywad