घर का दरवाजा खोलता हूँ
नीचे एक पत्र पड़ा है
शायद डाकिया अंदर डाल गया है
उत्सुकता से खोलता हूँ
माँ का पत्र है
एक-एक शब्द
दिल में उतरते जाते हैं
बार-बार पढ़ता हूँ
फिर भी जी नहीं भरता
पत्र को सिरहाने रख
सो जाता हूँ
रात को सपने में देखता हूँ
माँ मेरे सिरहाने बैठी
बालों में उंगलियाँ फिरा रही है।
कृष्ण कुमार यादव
http://kkyadav.blogspot.com/
kkyadav.y@rediffmail.
Tuesday, December 16, 2008
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26 comments:
पत्र को सिरहाने रख
सो जाता हूँ
रात को सपने में देखता हूँ
माँ मेरे सिरहाने बैठी
बालों में उंगलियाँ फिरा रही है।
बहुत सुंदर !!!!
पढ़कर ३००० km दूर रह रही माँ का ख्याल हो आया| और क्या कहूँ|
'माँ', चिटठा के साथ जुड़ने में मुझे खुशी होगी, aap लोगो को बधाई.
भग्यशाली हैं वे जिनके सिर पर माँ के आंचल की छाया है।
इसी ब्लॉग पर आपकी रचना मेरा प्यारा सा बच्चा पढ़ी थी और अब ये अनुपम कविता. लगता है आप अपनी माँ के बहुत करीब हैं. सौभाग्यशाली हैं आप और आपकी माँ भी.
बड़ी भाव-प्रवण कविता है. इसे पढ़कर किसी की भी ऑंखें नम हो जायें. कृष्ण जी को इस भाव-प्रवण कविता के लिए बधाई.
माँ का पत्र है
एक-एक शब्द
दिल में उतरते जाते हैं
बार-बार पढ़ता हूँ
फिर भी जी नहीं भरता
...पढ़कर बचपन की यादें ताजा हो गयीं. वो माँ का पत्र, उनकी नसीहतें, घर-परिवार और पास-पड़ोस की छोटी-छोटी बातें, अपना ध्यान रखने की हिदायतें....सब कुछ आँखों के सामने तैर जाता है.
'प्यारा सा बच्चा' के बाद 'माँ का पत्र' देखकर सुखद अनुभूति हुयी. माँ से जुडी यादें हमेशा भावुक ही करती हैं. ऐसा अटूट रिश्ता तो इस जहां में है भी नहीं !!!
वाकई यह चिटठा कमाल का है भाई ! माँ से जुडी इतनी यादें सहेजे हुए है कि बार-बार पढने को मन करता है. कृष्ण कुमार जी की कविता तो कमाल की है !
वाह, एक ही दिन में इतनी प्यारी-प्यारी प्रतिक्रियाएं. शुक्रगुजार हूँ आप सभी का. बस यूँ ही प्रोत्साहन देते रहें.
Nice poem....keep it up.
बहुत सुंदर लगी आपकी यह कविता
very touching,full of feelings !!
I remembered my son who is in hostel.
पत्र को सिरहाने रख
सो जाता हूँ
रात को सपने में देखता हूँ
माँ मेरे सिरहाने बैठी
बालों में उंगलियाँ फिरा रही है।
kitna sundar.... maa ki chatrachaya mai jeena hbi naseeb hai...
Apki yah kavita padhkar dil bag-bag ho gaya.Apne door ja chuki maan ki yad dila di.
Celebrate Chocolate-Pizza day today and enjoy urself with a lot of fun with tadka of beautiful poems.
@ Rashmi Singh, Chocolate-Pizza day का नाम sunate ही मुँह में पानी आ गया. काश ऐसा होता कि विचार दिमाग में आते और मुंह में सीधे Chocolate-Pizza खाने को मिल जाता.
माँ का पत्र है
एक-एक शब्द
दिल में उतरते जाते हैं
बार-बार पढ़ता हूँ
फिर भी जी नहीं भरता
बहुत ही भाव प्रधान रचना
अति सुन्दर!
Maa ke ehss ko bakhubi ujagar karti hai ye kavita.Badhai.
Thanks sir
apka blog accha laga. apne mere blog par ek comment likha hai uske liye dhanyawad. mane jo bhi data ekattha kiya hai sabhi kahi na kahin se copy hi hai abhi mane apni taraf se kuch hi post likha hai. me email hai toanugrahsing@gmail.com main reply ka wait kar raha hoon
आप बहुत -बहुत अच्छा लिखती हैं मुझे आपके ब्लॉग इतने पसंद आए की मैंने सारा पढ डाला सुरुआत में ही मेरे ब्लॉग की तारीफ कर मेरा आत्मविश्वास बढाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद AJAY SINGH(Only Student)
इस ब्लॉग पर आकर प्रसन्नता का अनुभव हुआ. कभी आप हमारे ब्लॉग पर भी आयें !!
कुछ ऐसी ही कवितायेँ हमारे ब्लॉग के लिए भी आमंत्रित हैं.
Adbhut....Happy X-mas.
संता क्लाजा आपकी सभी इच्छाओं की पूर्ति करे...
धन्यवाद मित्रों, आप सभी को 'बड़ा दिन' और 'नव वर्ष की' ढेरों शुभकामनायें.
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