नये ज़माने के रंग में,
पुरानी सी लगती है जो|
aage बढने वालों के बीच,
पिछङी सी लगती है जो|
गिर जाने पर मेरे,
दर्द से सिहर जाती है जो|
चश्मे के पीछे ,आँखें गढाए,
हर चेहरे में मुझे निहारती है जो|
खिङकी के पीछे ,टकटकी लगाए,
मेरा इन्तजार करती है जो|
सुई में धागा डालने के लिये,
हर बार मेरी मनुहार करती है जो|
तवे से उतरे हुए ,गरम फुल्कों में,
जाने कितना स्वाद भर देती है जो|
मुझे परदेस भेज ,अब याद करके,
कभी-कभी पलकें भिगा लेती है जो|
मेरी खुशियों का लवण,
mere जीवन का सार,
मेरी मुस्कुराहटों की मिठास,
merii आशाओं का आधार,
मेरी माँ, हाँ मेरी माँ ही तो है वो|
(मेरा नाम शिल्पा अग्रवाल है | शिक्षा -एम.फिल (अंग्रेजी साहित्य), कभी-कभी कागज़ के पुर्जों पर या इक्कीसवीं सदी के अपने प्रिय मित्र कम्प्यूटरराम को टप-टपा कर अपने चिट्ठे "फुलकारी" (http://shipsag.blogspot.com) पर कविता कह लेती हूँ | फिलहाल प्रवासी भारतीय हूँ, इसलिए अपनेपन की कमी बहुत खलती है यहाँ और हर बात पर अपने देस की याद आ जाती है| )
39 comments:
बहुत खूब लिखा है आपने शिल्पा जी लाजवाब। यादें ताजा हो गयी माँ की जेहन में, माँ से दूर जो ठहरा।
माँ चिट्ठे के लेखक-परिवार में आपका स्वागत है शिल्पा जी!!
खिङकी के पीछे ,टकटकी लगाए,
मेरा इन्तजार करती है जो|
बेटी की माँ के भाग्य मे यही सब तो है इन्तज़ार इन्तज़ार बस बहुत सुन्दर चित्र खीँचा है माँ का लाजवाब शुभकामनायें
बेहद खुबसूरत है आपकी यादे और उसमे सज्जी माँ ........मेरी भी माँ कुछ ऐसी है ......बहुत बहुत शुक्रिया!
shilpa ji....bahut achcha likha hai aapne.... main to apni se maa se bachpan mein hi hamesha ke liye door ho gaya tha..... isliye maa ab bhi bahut yaaad aati hai....
हर चेहरे में मुझे निहारती है जो|
खिङकी के पीछे ,टकटकी लगाए,
माँ तो माँ है. और कुछ कहने की आवश्यकता ही नही है.
शिल्पा जी !
सादर वन्दे,
जिसमे खुद भगवान ने खेले खेल विचित्र
माँ कि गोदी से नहीं कोई तीर्थ पवित्र
आपकी रचना को नमस्कार.
रत्नेश त्रिपाठी
गरम फुल्कों में,
जाने कितना स्वाद भर देती है जो|
यही तो कमाल है उन हाथों का। संवेदनशील अभिव्यक्ति।
मुझे परदेस भेज ,अब याद करके,
कभी-कभी पलकें भिगा लेती है जो|
मां बहुत सुंदर होती है......
॑आप की सुंदर कविता ने आंखो मे आंसू ला दिये
धन्यवाद
शिल्पा जी माँ की ममता का सुन्दर चित्रण आपने
किया है,अच्छा लगा|मेरी पहली पोस्ट(विश्वसुन्दरी)
भी माँ को समर्पित है ,आप पढ़े शायद पसंद आये
माँ पर बहुत बेहतरीन लिखा है आपने ..स्वागत है आपका ...
खुद गीले में सोकर भी संतान को सूखे में सुलाए...,वो है माँ..!माँ की महिमा तो जितनी बताई जाए उतनी ही कम है...माँ तो माँ ही होती है..
बहुत मार्मिक रचना है. दिल को छू गई. आपकी ही तरह एक प्रवासी हूँ, रिटायर्ड होने के बाद भी इस उम्र में माँ की याद कभी कभी रुला देती है. माँ का दर्जा तो कोई ले ही नहीं सकता.
महावीर शर्मा
माँ ही ऐसी होती है । माँ का सुंदर वर्णन शिल्पाजी ।
सच कहा शिल्पा जी आपने
मां ऐसी ही होती है
मेरा मानना है-
छांव घनेरे पेड सी देकर धूप दुखों की सहती मां
एक समन्दर ममता का है फिर भी कितनी प्यासी मां
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
इस चिट्ठे पर आज अनायास आ गया।
अच्छा लगा माँ विषय पर इतनी ढेर सारी प्यार भरी शब्दांजलि देखकर।
शिल्पा जी-
मेरी माँ भी बरामदे में खड़ी हो कर देर तक मेरा इंतजार करती रहती थीं।
माँ के प्रति बहुत प्यार है आपकी कविता में
आखिर हो क्यों न
माँ तो माँ है।
bahetareen...!!!! shilpaji... aap ka swaagat hain aur shukriya Maa ke iss rachna ko hum tak pahuchane ka
wow..really awesome creations out here
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aapke bahut sarre future fans aapki kavitayein padne ka intezaar kar rahein hai ..do login and post.
Maa ki mamtaa ka varnan to aaj tk koi bhi poorantaa se nahi kr paayaa kyonki hr baar lafz km pad jaate haiN...lekin aapne bahut hi sundar shaili meiN bahut hi saarthak rachnaa kahi hai...
badhaaee svikaareiN
http://www.youtube.com/watch?v=1ZADwvQ0tQI
मां केवल एक कविता नहीं। मां केवल एक गजल नहीं। मां शब्द नही। मा सिर्फ भावना नही। मां केवल लोरी नहीं। मां केवल सपना नही। मां केवल अपनी नही। मां तो विधाता के समान है। मा के कदमों में ही जन्नत है। मां पर जो भी लिखा, वह सत्य है। लेकिन मां पर क्या हम ठहर नही जाते। जाहिर है, मां तो तरंग है। मां तो दर्पण है। मां तो लहर और जीवन की लहरी है। मा तो दरिया है। मां तो सागर है। वह तो आगर है। मां क्या है। इसका एक उदाहरण देखिए
एक बार किसी ने विधाता से पूछा कि मुझको स्वर्ग कैसे मिलेगा। विधाता ने कहा कि अपने मा-बाप की सेवा करो। उनको तीर्थाटन कराओ। बंदे ने यही सब किया। उसने विधाता से पूछा कि क्या मुझको अब स्वर्ग मिलेगा। विधाता ने पूछा-जाओ अपनी मां से पूछकर आओ। वह दौड़ा-दौड़ा मां के पास पहुंचा। बोला-मां मैंने तुम्हारी हर इच्छा को पूरा कर दिया। क्या मुझको अब स्वर्ग मिलेगा। मां बोली-मेरी आंख को देख। क्या तुझको नहीं लगता कि तुझको स्वर्ग मिल गया। बदे ने आंखें देखी। वह ममता को पढ़ नही सका। वह विधाता के पास पहुंचा और उसने सारी बातें बताई। विधाता ने कहा कि जब तुझे मां की आंख में स्वर्ग के दर्शन नहीं हुए तो तुझे क्या स्वर्ग मिलेगा। जिसने ममता का स्वर्ग नहीं देखा, उसने कोई स्वर्ग नहीं देखा। सच, मां तो अनमोल है। मां तो अनंत है। मां तो साक्षात परब्रह्म है। मा तो जीवन की माला है। जीवन का संगीत है। सुंदर काव्य शिल्प के लिए शुभकामनाएं।
-सूर्यकांत द्विवेदी
dskantd@gmail.com
Simply superb.
मौत की आगोश में जब थक के सो जाती है माँ ,
तब कही जा कर सुकून थोड़ा सा पा जाती है माँ । ।
acch post badhai........
सच कहा शिल्पा जी आपने
मां ऐसी ही होती है
मेरा मानना है-
छांव घनेरे पेड सी देकर धूप दुखों की सहती मां
एक समन्दर ममता का है फिर भी कितनी प्यासी मां
संजय कुमार
हरियाणा
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.
वाह !!! शिल्पा जी जैसे हमारी ही सोचों को कह गईं हैं आप! आंखें नम हो आईं ..सच में हम भाग दौड की गिंदगी में मां को कही भूलते जा रहे हैं। बधाई आपको ।
...सुन्दर रचना, प्रसंशनीय !!!
maa, sach me bahut khoob.......
बहुत ही सुंदर रचना है।
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बहुत ही सुन्दर शब्द चित्रण . मन छू लेने वाले भाव .
nice
Labon Per Uske Kabhi Baddua Nahi Hoti...Ek Maa Hai Jo Kabhi Khafaa Nahi Hoti...
usse acche lagte hai wah ghar jinme aangan ho kisi bacche ke tutlaate hastakshar ghar ki deewaron par ankit ho acchi lagti hai wah anubhuti jisme MAA ho kyunki MAA ek shabd bhar nahi ek sampurna bhasha hai .SUDHA UPADHYAYA
Jai Shri Krishna,
Nice reading. Mother is above all.
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maa kya hoti hai....ye maine tab jana, jab main khud maa bani....
behad maarmik chitran kiya hai aapne...hardik abhinandan.....
mere जीवन का सार,
मेरी मुस्कुराहटों की मिठास,
merii आशाओं का आधार,
मेरी माँ, हाँ मेरी माँ ही तो है वो|
bahut sundar rachna aur gantantra divas ki badhai raj ji aapko
KYA KHUB LIKHTI HAI, YAD AA GAE MA.
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उसको नही देखा पहले कभी
पर उसकी जरूरत क्या होगी।
ऐ मा तेरी सूरत से अलग
भगवान की सूरत क्या होगी॥
Its lovely.. no words for this.. except for the smile and little tears in my eyes... love u maa.. missing you..
Thanks you sharing shilpa..
Regards
arpita sarkar, mumbai
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