रमिया माँ है
वह अटरिया में
अकेले बैठे-बैठे
बुन रही है
अपना भविष्य
यादों के अनमोल
और उलझे धागों से,
उसके सामने
बिखरे हैं
सवाल ही सवाल
वो सालों से खोज रही है
उन अनसुलझे
प्रश्नों के उत्तर
लेकिन आज तक भी
नहीं मिल पाया है उसे
कोई भी उत्तर ।
आज भी वे प्रश्न
प्रश्न ही बने हुए हैं
वह जी रही है आज भी
और जीती रहेगी
युगों-युगों तक
अपने सवालों के
उत्तर पाने के लिए।
वह एक माँ है
जिसने झेले हैं
अनेक झंझावात।
वह अपने ही मन से
पूछ रही है पहेली -
क्यों नहीं है उसको
बोलने का अधिकार
या फिर अपनी बात को
कहने का अधिकार,
क्यों नहीं है उसे
अपनी पीड़ा को
बाँटने का अधिकार,
क्यों नहीं है?
ग़लत को ग़लत
कहने का अधिकार ।
क्यों उसके चारों ओर
लगा दी जाती है
कैक्टस की बाड़
क्यों कर दिया जाता है
उसे हमेशा खामोश
क्यों नहीं
बोलने दिया जाता उसे ?
यह प्रश्न अनवरत
उठता रहता है
उसके भोले मन में,
बिजली-सी कौंधती रहती है
उसके मस्तिष्क में,
बचपन से अब तक
कभी भी अपनी बात को
निर्द्वंद्व होकर कहने की हिम्मत
नहीं जुटा पाई है वह ।
जब भी कुछ कहने का
करती है प्रयास
मुँह खोलने का
करती है साहस
वहीं लगा दिया जाता है
चुप रहने का विराम ।
आठ की अवस्था हो
या फिर साठ की
वही स्थिति,वही मानसिकता
आखिर किससे कहे
अपनी करुण-कथा
और किसको सुनाए
अपनी गहन व्यथा ।
जन्म लेते ही
समाज द्वारा तिरस्कार
पिता से दुत्कार
फिर भाइयों के गुस्से की मार
ससुराल में पति के अत्याचार
सास-ननद के कटाक्षों के वार
वृद्धावस्था में
बेटे की फटकार
बहू का विषैला व्यवहार
सब कुछ सहते-सहते
टूट जाती है वह,
क्योंकि उसे तो मिले हैं
विरासत में
सब कुछ सहने और
कुछ न कहने के संस्कार ।
यदि ऐसा ही रहा
समाज का बर्ताव
मिलते रहे
उसे घाव पर घाव,
ऐसी ही रही चुप्पी
चारों ओर
तो शायद मन की घुटन
तोड़ देगी अंतर्मन को
अंदर-ही-अंदर,
फैलता रहेगा विष
घुटती रहेंगी साँसें,
टूटती रहेंगी आसें
तो जिस बात को
वह करना चाहती है अभिव्यक्त
वह उसके साथ ही चली जाएगी,
फिर इसी तरह
घुटती रहेंगी बेटियाँ,
ऐसे ही टूटता रहेगा
उनका तन और मन,
होते रहेंगे अत्याचार;
होती रहेंगी वे
समाज की घिनौनी
मानसिकता का शिकार |
कब बदलेगा समय
कब बदलेगी मानसिकता
कब समाज के कथित ठेकेदार
समाज की चरमराई व्यवस्था को
मजबूती देने के लिए
आगे आएँगे
क़दम बढ़ाएँगे,
जब माँ के मन की बात
उसकी पीड़ा,उसकी चुभन,
उसके मन का संत्रास
समझेगी आज की पीढ़ी,
विश्वास है उसे
कि वह दिन आएगा
जरूर आएगा ।
Saturday, February 19, 2011
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46 comments:
bahut hi sunder '''''hirday ko choo gai
जब माँ के मन की बात
उसकी पीड़ा,उसकी चुभन,
उसके मन का संत्रास
समझेगी आज की पीढ़ी,
विश्वास है उसे
कि वह दिन आएगा
जरूर आएगा ।
लेकिन जब यह पीढी समझेगी तब समझेगी लेकिन आज तो मां का दिल दुखा रही हे, उसे आत्महत्या करने पर मजबूर कर रही हे..... काश वो दिन जल्द आये
वह जी रही है आज भी
और जीती रहेगी
युगों-युगों तक
अपने सवालों के
उत्तर पाने के लिए।
वह एक माँ है
जिसने झेले हैं
अनेक झंझावात।
बहुत सुंदर ...हृदयस्पर्शी रचना
अगर आपको समय मिले तो मेरे ब्लॉग http://www.sirfiraa.blogspot.com और http://www.rksirfiraa.blogspot.comपर अपने ब्लॉग का "सहयोगियों की ब्लॉग सूची" और "मेरे मित्रों के ब्लॉग" कालम में अवलोकन करें. सभी ब्लोग्गर लेखकों से विन्रम अनुरोध/सुझाव: अगर आप सभी भी अपने पंसदीदा ब्लोगों को अपने ब्लॉग पर एक कालम "सहयोगियों की ब्लॉग सूची" या "मेरे मित्रों के ब्लॉग" आदि के नाम से बनाकर दूसरों के ब्लोगों को प्रदर्शित करें तब अन्य ब्लॉग लेखक/पाठकों को इसकी जानकारी प्राप्त हो जाएगी कि-किस ब्लॉग लेखक ने अपने ब्लॉग पर क्या महत्वपूर्ण सामग्री प्रकाशित की है. इससे पाठकों की संख्या अधिक होगी और सभी ब्लॉग लेखक एक ब्लॉग परिवार के रूप में जुड़ सकेंगे. आप इस सन्दर्भ में अपने विचारों से अवगत कराने की कृपया करें. निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461 email: sirfiraa@gmail.com
माँ के रूप में सारे नारी संसार की पीडा व्यक्त कर दी आपने । अंत का आशावाद बहुत अच्छा लगा ।
सुंदर भाव
आप सबने 'माँ के मन की बात' को पसंद किया और सराहा, इसके लिए बहुत-बहुत आभार। आशा है आपका स्नेह इसी तरह बना रहेगा।
पीड़ामयी भाव उकेरती रचना।
manbhavan.narayan narayan
माँ के रूप में सारे नारी संसार की पीडा व्यक्त कर दी आपने .इसके लिए बहुत-बहुत आभार।
Bahut hi behatreen tareeke se aapne samaaj ki mansikta or ek naari k jeewan ki vyathaa ko present kiya hai......... Nice
शकुन्तला प्रेस कार्यालय के बाहर लगा एक फ्लेक्स बोर्ड देखे.......http://shakuntalapress.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html क्यों मैं "सिरफिरा" था, "सिरफिरा" हूँ और "सिरफिरा" रहूँगा! देखे.......... http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/03/blog-post_14.html
आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-अगर आपको समय मिले तो कृपया करके मेरे (http://sirfiraa.blogspot.com , http://rksirfiraa.blogspot.com , http://shakuntalapress.blogspot.com , http://mubarakbad.blogspot.com , http://aapkomubarakho.blogspot.com , http://aap-ki-shayari.blogspot.com , http://sachchadost.blogspot.com, http://sach-ka-saamana.blogspot.com , http://corruption-fighters.blogspot.com ) ब्लोगों का भी अवलोकन करें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं # निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461
भ्रष्टाचारियों के मुंह पर तमाचा, जन लोकपाल बिल पास हुआ हमारा.
बजा दिया क्रांति बिगुल, दे दी अपनी आहुति अब देश और श्री अन्ना हजारे की जीत पर योगदान करें
आज बगैर ध्रूमपान और शराब का सेवन करें ही हर घर में खुशियाँ मनाये, अपने-अपने घर में तेल,घी का दीपक जलाकर या एक मोमबती जलाकर जीत का जश्न मनाये. जो भी व्यक्ति समर्थ हो वो कम से कम 11 व्यक्तिओं को भोजन करवाएं या कुछ व्यक्ति एकत्रित होकर देश की जीत में योगदान करने के उद्देश्य से प्रसाद रूपी अन्न का वितरण करें.
महत्वपूर्ण सूचना:-अब भी समाजसेवी श्री अन्ना हजारे का समर्थन करने हेतु 022-61550789 पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना हैं ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है.
अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
देश और समाजहित में देशवासियों/पाठकों/ब्लागरों के नाम संदेश:-
मुझे समझ नहीं आता आखिर क्यों यहाँ ब्लॉग पर एक दूसरे के धर्म को नीचा दिखाना चाहते हैं? पता नहीं कहाँ से इतना वक्त निकाल लेते हैं ऐसे व्यक्ति. एक भी इंसान यह कहीं पर भी या किसी भी धर्म में यह लिखा हुआ दिखा दें कि-हमें आपस में बैर करना चाहिए. फिर क्यों यह धर्मों की लड़ाई में वक्त ख़राब करते हैं. हम में और स्वार्थी राजनीतिकों में क्या फर्क रह जायेगा. धर्मों की लड़ाई लड़ने वालों से सिर्फ एक बात पूछना चाहता हूँ. क्या उन्होंने जितना वक्त यहाँ लड़ाई में खर्च किया है उसका आधा वक्त किसी की निस्वार्थ भावना से मदद करने में खर्च किया है. जैसे-किसी का शिकायती पत्र लिखना, पहचान पत्र का फॉर्म भरना, अंग्रेजी के पत्र का अनुवाद करना आदि . अगर आप में कोई यह कहता है कि-हमारे पास कभी कोई आया ही नहीं. तब आपने आज तक कुछ किया नहीं होगा. इसलिए कोई आता ही नहीं. मेरे पास तो लोगों की लाईन लगी रहती हैं. अगर कोई निस्वार्थ सेवा करना चाहता हैं. तब आप अपना नाम, पता और फ़ोन नं. मुझे ईमेल कर दें और सेवा करने में कौन-सा समय और कितना समय दे सकते हैं लिखकर भेज दें. मैं आपके पास ही के क्षेत्र के लोग मदद प्राप्त करने के लिए भेज देता हूँ. दोस्तों, यह भारत देश हमारा है और साबित कर दो कि-हमने भारत देश की ऐसी धरती पर जन्म लिया है. जहाँ "इंसानियत" से बढ़कर कोई "धर्म" नहीं है और देश की सेवा से बढ़कर कोई बड़ा धर्म नहीं हैं. क्या हम ब्लोगिंग करने के बहाने द्वेष भावना को नहीं बढ़ा रहे हैं? क्यों नहीं आप सभी व्यक्ति अपने किसी ब्लॉगर मित्र की ओर मदद का हाथ बढ़ाते हैं और किसी को आपकी कोई जरूरत (किसी मोड़ पर) तो नहीं है? कहाँ गुम या खोती जा रही हैं हमारी नैतिकता?
मेरे बारे में एक वेबसाइट को अपनी जन्मतिथि, समय और स्थान भेजने के बाद यह कहना है कि- आप अपने पिछले जन्म में एक थिएटर कलाकार थे. आप कला के लिए जुनून अपने विचारों में स्वतंत्र है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं. यह पता नहीं कितना सच है, मगर अंजाने में हुई किसी प्रकार की गलती के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ. अब देखते हैं मुझे मेरी गलती का कितने व्यक्ति अहसास करते हैं और मुझे "क्षमादान" देते हैं.
आपका अपना नाचीज़ दोस्त रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"
bahut hi sundar.. har lafz dil ko choota hua sa mehsoos hua.. aise hi likhte rahiye...
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Thank You
श्रीमान जी, मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
प्रिय दोस्तों! क्षमा करें.कुछ निजी कारणों से आपकी पोस्ट/सारी पोस्टों का पढने का फ़िलहाल समय नहीं हैं,क्योंकि 20 मई से मेरी तपस्या शुरू हो रही है.तब कुछ समय मिला तो आपकी पोस्ट जरुर पढूंगा.फ़िलहाल आपके पास समय हो तो नीचे भेजे लिंकों को पढ़कर मेरी विचारधारा समझने की कोशिश करें.
दोस्तों,क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से
श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी लगाये है.इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है.मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ.
अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
यह टी.आर.पी जो संस्थाएं तय करती हैं, वे उन्हीं व्यावसायिक घरानों के दिमाग की उपज हैं. जो प्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य का शोषण करती हैं. इस लिहाज से टी.वी. चैनल भी परोक्ष रूप से जनता के शोषण के हथियार हैं, वैसे ही जैसे ज्यादातर बड़े अखबार. ये प्रसार माध्यम हैं जो विकृत होकर कंपनियों और रसूखवाले लोगों की गतिविधियों को समाचार बनाकर परोस रहे हैं.? कोशिश करें-तब ब्लाग भी "मीडिया" बन सकता है क्या है आपकी विचारधारा?
सुंदर भाव
हृदयस्पर्शी रचना !
bahut sunder bhav
ma pr jitna bhi likha jaye kam hai
rachana
लीगल सैल से मिले वकील की मैंने अपनी शिकायत उच्चस्तर के अधिकारीयों के पास भेज तो दी हैं. अब बस देखना हैं कि-वो खुद कितने बड़े ईमानदार है और अब मेरी शिकायत उनकी ईमानदारी पर ही एक प्रश्नचिन्ह है
मैंने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर श्री बी.के. गुप्ता जी को एक पत्र कल ही लिखकर भेजा है कि-दोषी को सजा हो और निर्दोष शोषित न हो. दिल्ली पुलिस विभाग में फैली अव्यवस्था मैं सुधार करें
कदम-कदम पर भ्रष्टाचार ने अब मेरी जीने की इच्छा खत्म कर दी है.. माननीय राष्ट्रपति जी मुझे इच्छा मृत्यु प्रदान करके कृतार्थ करें मैंने जो भी कदम उठाया है. वो सब मज़बूरी मैं लिया गया निर्णय है. हो सकता कुछ लोगों को यह पसंद न आये लेकिन जिस पर बीत रही होती हैं उसको ही पता होता है कि किस पीड़ा से गुजर रहा है.
मेरी पत्नी और सुसराल वालों ने महिलाओं के हितों के लिए बनाये कानूनों का दुरपयोग करते हुए मेरे ऊपर फर्जी केस दर्ज करवा दिए..मैंने पत्नी की जो मानसिक यातनाएं भुगती हैं थोड़ी बहुत पूंजी अपने कार्यों के माध्यम जमा की थी.सभी कार्य बंद होने के, बिमारियों की दवाइयों में और केसों की भागदौड़ में खर्च होने के कारण आज स्थिति यह है कि-पत्रकार हूँ इसलिए भीख भी नहीं मांग सकता हूँ और अपना ज़मीर व ईमान बेच नहीं सकता हूँ.
मेरा बिना पानी पिए आज का उपवास है आप भी जाने क्यों मैंने यह व्रत किया है.
दिल्ली पुलिस का कोई खाकी वर्दी वाला मेरे मृतक शरीर को न छूने की कोशिश भी न करें. मैं नहीं मानता कि-तुम मेरे मृतक शरीर को छूने के भी लायक हो.आप भी उपरोक्त पत्र पढ़कर जाने की क्यों नहीं हैं पुलिस के अधिकारी मेरे मृतक शरीर को छूने के लायक?
मैं आपसे पत्र के माध्यम से वादा करता हूँ की अगर न्याय प्रक्रिया मेरा साथ देती है तब कम से कम 551लाख रूपये का राजस्व का सरकार को फायदा करवा सकता हूँ. मुझे किसी प्रकार का कोई ईनाम भी नहीं चाहिए.ऐसा ही एक पत्र दिल्ली के उच्च न्यायालय में लिखकर भेजा है. ज्यादा पढ़ने के लिए किल्क करके पढ़ें. मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ लौट जाऊँगा.
मैंने अपनी पत्नी व उसके परिजनों के साथ ही दिल्ली पुलिस और न्याय व्यवस्था के अत्याचारों के विरोध में 20 मई 2011 से अन्न का त्याग किया हुआ है और 20 जून 2011 से केवल जल पीकर 28 जुलाई तक जैन धर्म की तपस्या करूँगा.जिसके कारण मोबाईल और लैंडलाइन फोन भी बंद रहेंगे. 23 जून से मौन व्रत भी शुरू होगा. आप दुआ करें कि-मेरी तपस्या पूरी हो
bahut sundar yaha bhi aaye
माँ की हर बात निराली होती है. बहुत सुंदर सब्दो में बयान किया है आपने माँ शब्द का अर्थ.
"माँ सुनाओ मुझे वो कहानी जिसमें राजा ना हो कोई रानी" . . .
Maa ke man kee baat jiwant kar dee aapne is rachna mein..aabhar
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति बधाई हो आपको
अब बहुत सारी माँयें आवाज उठाने लगीं हैं।
हृदयस्पर्श रचना है , जब हर ह्रदय में एक माँ की पीड़ा घर कर जाये हर किसी को उस पीड़ा में अपनी पीड़ा नज़र आये तो जरुर ही माँ के घुटन को एक दिन चैन मिल जायेगा....आभार
यदि ऐसा ही रहा
समाज का बर्ताव
मिलते रहे
उसे घाव पर घाव,
ऐसी ही रही चुप्पी
चारों ओर
तो शायद मन की घुटन
तोड़ देगी अंतर्मन को
अंदर-ही-अंदर,
फैलता रहेगा विष
घुटती रहेंगी साँसें,
टूटती रहेंगी आसें
तो जिस बात को
वह करना चाहती है अभिव्यक्त
वह उसके साथ ही चली जाएगी,
आज के समाज का यथार्थ, कविता में ढल गया ।
जब माँ के मन की बात
उसकी पीड़ा,उसकी चुभन,
उसके मन का संत्रास
समझेगी आज की पीढ़ी,
विश्वास है उसे
कि वह दिन आएगा
जरूर आएगा .....
Waiting for that beautiful day.....
.
आपकी इस हृदयस्पर्शी रचना पर
आभार
अत्यंत ही मार्मिक ह्रदय स्पर्शी रचना...सादर !!!
जब माँ के मन की बात
उसकी पीड़ा,उसकी चुभन,
उसके मन का संत्रास
समझेगी आज की पीढ़ी,
विश्वास है उसे
कि वह दिन आएगा
जरूर आएगा । बहुत सुंदर ...हृदयस्पर्शी रचना ।
माँ की बराबरी कोई ना कर पाये।
जन्म लेते ही
समाज द्वारा तिरस्कार
पिता से दुत्कार
फिर भाइयों के गुस्से की मार
ससुराल में पति के अत्याचार
सास-ननद के कटाक्षों के वार
वृद्धावस्था में
बेटे की फटकार
बहू का विषैला व्यवहार ..
डॉ मीना अग्रवाल जी बहुत सुन्दर व्यथा कथा नारी समाज का ....गजब का चित्रण मन को छू गया ..काश लोग आँखें खोलें . नारी पूजी जाए .तो आनंद और आये
भ्रमर ५
कविता पसंद करने के लिए और प्रोत्साहन के लिए सभी का बहुत-बहुत आभार.
मीना अग्रवाल
जरूर आए वह दिन। हर मां के जीवन में। भावप्रवण कविता।
हृदयस्पर्शी रचना
कब समाज के कथित ठेकेदार
समाज की चरमराई व्यवस्था को
मजबूती देने के लिए
आगे आएँगे
क़दम बढ़ाएँगे,
जब माँ के मन की बात
उसकी पीड़ा,उसकी चुभन,
उसके मन का संत्रास
समझेगी आज की पीढ़ी....
मीना जी बहुत सुन्दर भाव ..प्रश्न और सुधरने का आह्वान ...काश लोगों की आँखें खुलें
राम नवमी की हार्दिक शुभ कामनाएं इस जहां की सारी खुशियाँ आप को मिलें आप सौभाग्यशाली हों गुल और गुलशन खिला रहे मन मिला रहे प्यार बना रहे दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति होती रहे ...
सब मंगलमय हो --भ्रमर५
very nice post .thanks
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Shastri saheb mene miss kardiya ye bahut sunder rachana.
Bahut khushi hai abhi, mene dekhliya our padliya.
Mera Hindi bahut poor hey lekin mene pooraa samchliya :-)
Thank You Very Much
Philip V A
jiski koi upma na di ja sake vo hai maa , jiski koi seema nahi uska naam hai maa, jiske prem ko kabhi pathjhad sparsh na kare uska naam hai maa, aise hoti hai maa ....
सब-कुछ झेलती है माँ, पर ममता के स्रोत सूखते नहीं.ऐसी मां अपनी वृद्धावस्था में निश्चिंती और शान्ति से जी सके तो कितने आशीषों से घर लहलहा उठे!
behad marmik kavita hai
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माँ की महिमा..जितनी बार भी लिखा गया, पढ़ा गया..छू जाता है ! बहुत सुंदर !
ऐक शब्द मे..ही
माँ ,माँ होती ह ©
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