आज ऐसे युवाओं की कमी नहीं है जो अपने स्वार्थ की पूर्ति कि लिए अपनी जननी को अनाथालय या सडक पर छोडने के लिये तय्यार हैं. इस विषय पर दो महत्वपूर्ण आलेख माँ के पाठकों की नजर में लाना चाहता हूँ:
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विश्व में माँ के योगदान को लोगों के समक्ष रखने वाला एक चिट्ठा!!
4 comments:
ji, bilkul sahi.
" pdha tha kul ye artical, sach mey painful hai....."
Regards
बहुत दर्दनाक है यह
क्या हमलोग अपने संस्कारों को भूलते जा रहे हैं ?
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