Saturday, November 29, 2008

माँ

माँ! तुम तो
मुझे अकेला छोड़
चली गई हो दूर
बहुत दूर
तुमने नहीं सिखाया
हिम्मत से जीना
समय की मार को
मजबूती से सहना
शायद इसलिए कि
तुम्हें विश्वास था
अपनी लाडली पर
कि कहीं भी
किसी भी परिस्थिति में
तुम्हारी ये बेटी
हारेगी नहीं
टूटेगी नहीं
पर माँ, आज मैं
बहुत टूट गई हूँ
आज बिल्कुल अकेली
हो गई हूँ मैं
आज तो दोगी
मुझे सांत्वना
और मेरा हाथ पकड़
मेरी उँगली पकड़
चढ़ाओगी
उन सीढ़ियों पर
जिन पर चढ़ना
मैं भूल गई हूँ
डरने लगा है मन
आगे बढ़ने में
और ऊँची-नीची,
टेढ़ी-मेढ़ी सीढ़ियों पर चढ़ने में
माँ ! आओ एक बार
दो मुझे हौसला
मेरे अंदर भर दो हिम्मत
माँ ! उर में समाकर
मेरे उदास और
एकाकी मन को सहलाओ
कोई ऐसी युक्ति बताओ
कि जीवन की शेष सीढ़ियाँ
आस्था,विश्वास और
धैर्य के साथ हिम्मत से
चढ़ सकूँ और पा सकूँ
उस सच्चाई को
उस यथार्थ को
जिससे मैं बहुत दूर हूँ
माँ ! तुम आओगी न
!फिर तुम्हारी ये बेटी
कभी, कहीं, किसी भी
स्थिति- परिस्थिति में
न तो डगमगाएगी और
न कभी मात खाएगी !

डॉ. मीना अग्रवाल

8 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

जब होती है माँ
साथ होती है
हर मुश्किल में
जब नहीं होती है माँ
तब भी साथ होती है
हर मुश्किल में
कोई वक्त नहीं होता
जब वह साथ नहीं होती
तुम आगे तो बढ़ो
माँ तुम्हारे साथ है
जरा अपने अंतस में
झाँक कर देखो
वह तुम्हारे ही साथ है

vimi said...

don't look back again & again. Keep moving forward, otherwise you will stumble & fall.
this was the mantra given by my mother which keeps me going.

bijnior district said...

बहुत अच्छी कविता । डा. साहब को बताना पडेगा कि साहित्य सर्जन के साथ पत्नी को भी समय दें।

Udan Tashtari said...

बहुत सही!!

Dev said...

माँ ! आओ एक बार
दो मुझे हौसला
मेरे अंदर भर दो हिम्मत
माँ ! उर में समाकर
मेरे उदास और
एकाकी मन को सहलाओ
कोई ऐसी युक्ति बताओ
कि जीवन की शेष सीढ़ियाँ
आस्था,विश्वास और
धैर्य के साथ हिम्मत से
चढ़ सकूँ और पा सकूँ
उस सच्चाई को
उस यथार्थ को.

Bahut Bahut achchhi lagi aapki kavita...I have no words to express it.I always take inspression to fight my problems.Mai jab bhi udas hota hoon bhagvan se pahale "Maa" ko yaad karta hoo.

I love ur poem "Maa".

I hvae also written a poem "Maa" and "Maa, Mai Tumse Bahut Prar Karata Hoon".

Maam Plz Do Read It and Give ur Comment..
http://dev-poetry.blogspot.com/2008/08/blog-post_3922.html
http://dev-poetry.blogspot.com/2008/09/blog-post_17.html

Regards

Major said...

संगीता जी उत्साहवर्धन के लिए कोटि कोटि धन्यवाद . आशा करता हूँ आप आगे भी मेरा उत्साहवर्धन करती रहेंगी .

!!अक्षय-मन!! said...

sirf nari ke sine mei hi dil aur wo shakti kyun hoti hai......?

wo hi samajhti hai jisne khoya hai apna
beta,apni beti,apna bhai,apna pati phir bhi
wo hi kyun aage badti hai..

uske paas dil bhi hai aur shakti bhi apne aap mei har jagha purn har tarf se viksit.....


->adhura mein huin bas "main"...

shkti hai to dil nahi kisi ko bhi nahi dekhta kisi ko bhi nahi bakshta....

aur dil hai to shakti nahi kisi par julm hote dekh to sakta hai

aur char aansu baha sakta hai par us julm rok nahi sakta na koshish karta rokne ki.....

ye "main" huin "main" ek "aadmi"

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

"जब होती है माँ
साथ होती है
हर मुश्किल में
जब नहीं होती है माँ
तब भी साथ होती है
हर मुश्किल में
कोई वक्त नहीं होता
जब वह साथ नहीं होती"

एक भावपूर्ण रचना.