माता तेरी जय हो संगीत बद्ध हुआ । शुरू से ही माँ , तेरा ही आशीर्वाद रहा होगा ,सराहा भी जा रहा है । वैसे यह फ़िल्म का भी हिस्सा होगा पर अब इसका स्वतंत्र विडियो भी होगा। कुछ मित्रों ने कहा है की इसमे सच्चे भारत की हर एक झलक हो । होगा , हो रहा है ।
थोड़ा सा गीत का इतिहास भी। लिखने की प्रेरणा रहमान और अन्य भारतीयों को ऑस्कर मिलने से हुयी । उसी दिन लिखा गया और इस ब्लॉग पे पोस्ट हुआ। लेकिन लिखने में एक दर्द भी शामिल था । जब तक विदेशी मान्यता न मिले हमारा कुछ सम्माननीय होता ही नहीं । वैसे रहमान और गुलज़ार जी के न जाने कितनी रचनाओं के सामने यह इनामी रचना पानी भरती हुयी ही थी ।
लेकिन जिस चीज ने दुखी किया वह 'जय हो ' था। जहाँ तक मैं समझता हूँ ' जय हो 'का 'जै कारा ' सिर्फ़ माँ के दरबार में लगता है। शिव, राम, कृष्ण , कोई पुरूष देवता भी इस जय कारे का अधिकारी नहीं होता । सिर्फ़ काली, दुर्गा ,भवानी, वैष्णोदेवी आदि मात्रि शक्तियों के लिए ही 'जै हो ' होता है । स्लम डॉग........में किसका और कैसा जिक्र है देखा ही होगा । अतः भारत माता के लिए जै कारा ही मेरा उद्देश था और ' माता जै हो' लिखा ।लिखते वक़्त भी संगीत धुन भी मन में चल रही थी । लेकिन जब मैं और मेरे संगीतकार सहयोगी विवेक अस्थाना ने संगीत पर काम शुरू किया तो हमने तै किया की इसमे सभी भारतीय वाद्य ही होंगे .
सबसे बड़ा खतरा था की ये कहीं अंग्रजी 'जय हो ' की परोडी न समझ ली जाए । अतः माता और जय हो प्रतिबिंबित करते राग दुर्गा और जैजैवंती रागों को संगीत में पिरोया हमने और भारतीय सितार, बंशी ,सारंगी आदि के साथ तबला,मृदंग, पखावज, ढोल, घटम आदि का प्रयोग किया । जो भी बन पड़ा आपके सामने है। गायक मुख्या स्वर राजेश बिसेन और सुमेधा के रहे । पुरुषों , स्त्रीयों , के साथ ही छोटे बच्चों ने भी कोरस में खुल कर हिस्सा लिया और मुग्ध आनंद से गाया । एक चार वर्षीया बच्चीकी आवाज आप अलग ही देखेंगे ।
सबसे बड़ा खतरा था की ये कहीं अंग्रजी 'जय हो ' की परोडी न समझ ली जाए । अतः माता और जय हो प्रतिबिंबित करते राग दुर्गा और जैजैवंती रागों को संगीत में पिरोया हमने और भारतीय सितार, बंशी ,सारंगी आदि के साथ तबला,मृदंग, पखावज, ढोल, घटम आदि का प्रयोग किया । जो भी बन पड़ा आपके सामने है। गायक मुख्या स्वर राजेश बिसेन और सुमेधा के रहे । पुरुषों , स्त्रीयों , के साथ ही छोटे बच्चों ने भी कोरस में खुल कर हिस्सा लिया और मुग्ध आनंद से गाया । एक चार वर्षीया बच्चीकी आवाज आप अलग ही देखेंगे ।
शुरू का निवेदन मैंने जो कहा है वही इस गीत का आशय भी है उद्देश भी।
मेरे मित्र सहयोगी शैलेश भारतवासी ने इसे हिन्दयुग्म पर भी लोड किया है । उसकी भी लिंक दी जा रही है।
तो आप सब भी सुने और सुनाएँ ,आनंद लें ।
एक विशेष निवेदन की आप इसे आपस में कॉपी कर सकते हैं, बाँट सकते हैं,डाउनलोड कर सकते हैं पर किसी तरह का कोई उपयोग ,हमारी आपकी भावना को आह़त करते या किसी तरह का कामर्सियल उपयोग , कॉपीराइट का उल्लंघन होगा ।
यहाँ सुने और डाउनलोड करें ।
http://podcast.hindyugm.com/
6 comments:
राज साहेब आपके और आपकी टीम के इस प्रयास की जितनी तारीफ की जाये कम है...बहुत दिनों बाद कर्ण प्रिय वाद्य सुनने को मिले...वास्तव में ये और आपकी फिल्म के दूसरे गीत, संगीत की अनुपम धरोहर के रूप में याद किये जायेंगे...
नीरज
हम डाउनलोड नहीं कर पाए. archive वाला सर्वर इस फाइल के होने से इनकार कर रहा है. १२८, ६४ या फिर ओग्ग सब में देख लिए. बहुत सुन्दर प्रयास है आप सब का. बधाई.
एक सार्थक और सराहनीय प्रयास!!
बहुत ही सुंदर लगा.
धन्यवाद
SABHEE GUNEEJANON KEE SARAHNA KO NAMAN. AAP SAB NE MEREE HIMMAT AUR UTSAH KO BADHAYA HAI !
DHANYAVAD.
achhi abhinyakti.....hai???
waise mere blog par bahut se post aapke comments and compliments ka intzaar kar rahen hai....padharen
Jai Ho Mangalmay ho....
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