Sunday, May 10, 2009

मां (अविनाश वाचस्‍पति)

मां
सदा हां
कभी न ना

देती है जां
मां
सदा हां

मां
सुख का गांव
ममता की छांव

31 comments:

Vinay said...

माँ को उपहार स्वरूप लिखी गयी यह कविता बहुत सुन्दर है

विवेक रस्तोगी said...

माँ इतना सुन्दर और बड़ा शब्द है कि उसकी व्याख्या करने के लिये पूरा शब्दकोश कम पड़ जाता है।

शेफाली पाण्डे said...

संक्षिप्त और विस्तृत दोनों एक साथ ....बिलकुल माँ की तरह ..दिल छूती रचना

दिनेशराय द्विवेदी said...

सभी माताओं को प्रणाम!

Kulwant Happy said...

सागर का पानी सयाही बन जाए, और कागज बन जाए आकाश तो भी ना लिख सकूंगा मां व्याख्या, मां की ममता बांधे नहीं बांधी अलफाजों में


मां से तोड़ आया अनजाने में रिश्ता...
http://window84.blogspot.com/2009/05/blog-post.html

अजय कुमार झा said...

duiya ke sabse chhote shabd kaa sabse vistrit arth hai...
avinash bhai, achhee shuruaat hai....

अजय कुमार झा said...

duiya ke sabse chhote shabd kaa sabse vistrit arth hai...
avinash bhai, achhee shuruaat hai....

Udan Tashtari said...

अति सुन्दर!!


मातृ दिवस पर समस्त मातृ-शक्तियों को नमन एवं हार्दिक शुभकामनाऐं.

Arvind Mishra said...

माँ -एक सशक्त शब्द चित्र !

वन्दना अवस्थी दुबे said...

bahut hi sundar...

प्रवीण त्रिवेदी said...

समस्त मातृ-शक्तियों को नमन एवं हार्दिक शुभकामनाऐं!!

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

माँ की महिमा अपरम्पार

विनोद कुमार पांडेय said...

माँ जिसने हमे खुशी दी,
खुद आँसुओं को पी कर,
उजाले का ख्वाब दिखाया
खुद अंधेरे मे जी कर,

माँ जिसने जीने का तत्व सिखलाया
महत्व और अपनत्व दिखलाया,

सारी खुशियाँ माँ के,आशीर्वाद के नाम है,
और आज समस्त माताओं,को मेरा प्रणाम है.

रश्मि प्रभा... said...

भावनाओं का सम्मोहन है, माँ ऐसी ही होती है

हरिओम तिवारी said...

Short,sweet& emotional touch

राजकुमार ग्वालानी said...

मां तूने दिया हमको जन्म
तेरा हम पर अहसान है
आज तेरे ही करम से
हमारा दुनिया में नाम है
हर बेटा तुझे आज
करता सलाम है

admin said...

मॉं, वाकई मॉं होती है।

-जाकिर अली रजनीश
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SBAI / TSALIIM

मोहन वशिष्‍ठ said...

मां
सदा हां
कभी न ना

देती है जां
मां
सदा हां

मां
सुख का गांव
ममता की छांव

बेहतरीन अल्‍फाज दिए हैं मां को आपने अविनाश जी

महावीर said...

माँ की परिभाषा, गुण आदि शब्दों में तो असम्भव हैं किंतु आपकी इन थोड़े से शब्दों में भावों, उद्गारों,
अनुभूतियों को बूंद में सागर के समान समेट कर भर दिए हैं।
बहुत सुंदर।
महावीर शर्मा

sonal said...

Very beautiful poem on mother.
Plz tell me how can I post my poem on mother at this blog.

Urmi said...

इतना सुंदर कविता लिखा है आपने माँ को लेकर की मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती! बहुत खूब!

Science Bloggers Association said...

माँ के बारे में जितना लिखा जाए, कम है।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

श्रद्धा जैन said...

Maa ko padh kar achha laga

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

सुन्दर रचनाऒ के लिये बधाई,

मां के बारे,बकौल ज़नाब ’मुन्व्वर राना’,

"इस तरह मेरे सब गुनाह धो देती है,
मां जब गुस्से में होती है,तो रो देती है।

I am at www.sachmein.blogspot.com.

Divya Narmada said...

माँ से ही प्रारंभ है, माँ पर ही है अंत.
'सलिल' न माँ बिन है कहीं, जीवन में कुछ तंत.

Science Bloggers Association said...

एक कम्युनिटी ब्लॉग पर इतने दिनों तक सन्नाटा रहना अच्छी बात नहीं।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

RAJ SINH said...

क्या बात है .इतने कम शब्दों में माँ का सारा स्नेह वात्सल्य कह दिया !

SAHITYIKA said...

bahut choti ..
lekin sundar kavita..

अविनाश वाचस्पति said...

सभी की

भावनाओं के लिए

आभार

मां नहीं होती

कभी भी

भार

यही है

मां का

सार।

somadri said...

माँ में ब्रह्माण्ड समाया है,
माँ ने जीने का सलीका सिखाया है,
माँ तो परम शक्ति होती है,
संतान के लिए जागृत मंत्र होती है

som-ras.blogspot.com

admin said...

क्‍या यह ब्‍लॉग डेड हो गया है।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }