माँ की परिभाषा, गुण आदि शब्दों में तो असम्भव हैं किंतु आपकी इन थोड़े से शब्दों में भावों, उद्गारों, अनुभूतियों को बूंद में सागर के समान समेट कर भर दिए हैं। बहुत सुंदर। महावीर शर्मा
माँ का स्थान मानव जीवन में सर्वोन्नत है. लेकिन कई बार हम लोग माँओं के प्रति आदर दिखाना भूल जाते हैं. माँ (Maatashri.blogspot.com) एक सामूहिक चिट्ठा है जहां कोई भी चिट्ठाकार "मां" विषय के विभिन्न कोणों पर आलेख छाप सकता है. चिट्ठे पर यदि आप कुछ छापना चाहते हैं तो उसे Admin.Mataashri@gmail.com पर भेज दें. अपने बारे में भी जानकारी दें जिसे लेख के अंत में जोडा जा सके.
31 comments:
माँ को उपहार स्वरूप लिखी गयी यह कविता बहुत सुन्दर है
माँ इतना सुन्दर और बड़ा शब्द है कि उसकी व्याख्या करने के लिये पूरा शब्दकोश कम पड़ जाता है।
संक्षिप्त और विस्तृत दोनों एक साथ ....बिलकुल माँ की तरह ..दिल छूती रचना
सभी माताओं को प्रणाम!
सागर का पानी सयाही बन जाए, और कागज बन जाए आकाश तो भी ना लिख सकूंगा मां व्याख्या, मां की ममता बांधे नहीं बांधी अलफाजों में
मां से तोड़ आया अनजाने में रिश्ता...
http://window84.blogspot.com/2009/05/blog-post.html
duiya ke sabse chhote shabd kaa sabse vistrit arth hai...
avinash bhai, achhee shuruaat hai....
duiya ke sabse chhote shabd kaa sabse vistrit arth hai...
avinash bhai, achhee shuruaat hai....
अति सुन्दर!!
मातृ दिवस पर समस्त मातृ-शक्तियों को नमन एवं हार्दिक शुभकामनाऐं.
माँ -एक सशक्त शब्द चित्र !
bahut hi sundar...
समस्त मातृ-शक्तियों को नमन एवं हार्दिक शुभकामनाऐं!!
माँ की महिमा अपरम्पार
माँ जिसने हमे खुशी दी,
खुद आँसुओं को पी कर,
उजाले का ख्वाब दिखाया
खुद अंधेरे मे जी कर,
माँ जिसने जीने का तत्व सिखलाया
महत्व और अपनत्व दिखलाया,
सारी खुशियाँ माँ के,आशीर्वाद के नाम है,
और आज समस्त माताओं,को मेरा प्रणाम है.
भावनाओं का सम्मोहन है, माँ ऐसी ही होती है
Short,sweet& emotional touch
मां तूने दिया हमको जन्म
तेरा हम पर अहसान है
आज तेरे ही करम से
हमारा दुनिया में नाम है
हर बेटा तुझे आज
करता सलाम है
मॉं, वाकई मॉं होती है।
-जाकिर अली रजनीश
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SBAI / TSALIIM
मां
सदा हां
कभी न ना
देती है जां
मां
सदा हां
मां
सुख का गांव
ममता की छांव
बेहतरीन अल्फाज दिए हैं मां को आपने अविनाश जी
माँ की परिभाषा, गुण आदि शब्दों में तो असम्भव हैं किंतु आपकी इन थोड़े से शब्दों में भावों, उद्गारों,
अनुभूतियों को बूंद में सागर के समान समेट कर भर दिए हैं।
बहुत सुंदर।
महावीर शर्मा
Very beautiful poem on mother.
Plz tell me how can I post my poem on mother at this blog.
इतना सुंदर कविता लिखा है आपने माँ को लेकर की मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती! बहुत खूब!
माँ के बारे में जितना लिखा जाए, कम है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Maa ko padh kar achha laga
सुन्दर रचनाऒ के लिये बधाई,
मां के बारे,बकौल ज़नाब ’मुन्व्वर राना’,
"इस तरह मेरे सब गुनाह धो देती है,
मां जब गुस्से में होती है,तो रो देती है।
I am at www.sachmein.blogspot.com.
माँ से ही प्रारंभ है, माँ पर ही है अंत.
'सलिल' न माँ बिन है कहीं, जीवन में कुछ तंत.
एक कम्युनिटी ब्लॉग पर इतने दिनों तक सन्नाटा रहना अच्छी बात नहीं।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
क्या बात है .इतने कम शब्दों में माँ का सारा स्नेह वात्सल्य कह दिया !
bahut choti ..
lekin sundar kavita..
सभी की
भावनाओं के लिए
आभार
मां नहीं होती
कभी भी
भार
यही है
मां का
सार।
माँ में ब्रह्माण्ड समाया है,
माँ ने जीने का सलीका सिखाया है,
माँ तो परम शक्ति होती है,
संतान के लिए जागृत मंत्र होती है
som-ras.blogspot.com
क्या यह ब्लॉग डेड हो गया है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
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