Friday, August 14, 2009

अम्मा

कितनी कितनी कितनों की ही बिगडी बात बनाती अम्मा
हँसते हँसते होंठों में ही अपनी बात छुपाती अम्मा ।
मेरे तेरे इसके उसके दर्द से होती रुआँसी अम्मा,
हम खा जाते चोट तो फिर, हमको कैसे बहलाती अम्मा ।
रात काटती आँखों में जब होते हम बीमार कभी,
सुबह सवेरे पर उनमें ही सूरज नया उगाती अम्मा ।
भोर अंधेरे उठ जाती और सारे काम सम्हालती अम्मा,
रात अंधेरी जब छा जाती, लोरी खूब सुनाती अम्मा ।
अब अम्मा के हाथ थके और आँखों के सूरज बदराये,
फिर भी तो होटों पे हरदम एक मुस्कान खिलाती अम्मा ।
हम अम्मा के पास रहें या उससे दूर ही क्यूं न रहें,
वह रहती है मन में हरदम, हम सबकी महतारी अम्मा ।

20 comments:

M VERMA said...

रात काटती आँखों में जब होते हम बीमार कभी
खूबसूरती से भावनाओ मे पिरोया है आपने अम्मा को.

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुंदर कविता!

RAJNISH PARIHAR said...

तू जहाँ जहां चलेगा मेरा साया साथ होगा..,जी माँ तो हमेश साए की तरह साथ ही रहती है..

श्यामल सुमन said...

माँ तो आखिर माँ होती है। अच्छे भाव की रचना।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

Satish Saxena said...

अब अम्मा के हाथ थके और आँखों के सूरज बदराये,
फिर भी तो होटों पे हरदम एक मुस्कान खिलातीअम्मा

माँ का बहुत खूबसूरत शब्द चित्रण के लिए आपको बधाई !
सादर !

Abhishek Pareek said...

यह भी समर्पित है :

फिर बादल घनेरे घिर आये
मां की मेरी याद लाये
फिर तड़पा उसके आंचल को
उसके बोलों सी ठंडक ले आये

मां, तुम बादल सी मुझको लगती हो
तपते दिल पर ठंडक सी लगती हो,
बादल के बनते कई रूपों में
मेरे बचपन की कहानीयां लगती हो।

तुम्हारी कहानीयां याद आती हैं मां,
वो बंदर, शेर, खरगोश और मछ्लीयां,
आज फिर सो जाऊं तेरी गोद में,
मां फिर से मुझे वो कहानीयां सुना

जीवन मे जब न होगी तू कल
कैसे बीतेंगे मेरे वो पल,
चल मां, मेरी ऊंगली को पकड़
कुछ दूर साथ तू चल।

Creative Manch said...

हँसते हँसते होंठों में ही अपनी बात छुपाती अम्मा ।

मां तो बस मां ही होती है
मां की प्रशंसा में क्या कहना
अत्यंत सुन्दर कविता


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Reetika said...

mere , tere, iske, uske dard se hoti ruansi amma........ aisee ho hoti hai amma !

KAUTILYA DUTT said...

bahut Sundar kavita.....

Vipin Behari Goyal said...

अम्मा की याद दिलाती कविता

hindustani said...

बहूत अच्छी रचना. कृपया मेरे ब्लॉग पैर पधारे

APNA GHAR said...

amma maa ki mahima kya likhu aankh bhar ayyee aaj phir mujhe meri maa kias yaad ayye hey sunder kavita ASHOK KHATRI

Creative Manch said...

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DC said...
This comment has been removed by the author.
sunil patel said...

A good poem. The greatest thing the God provides to a child a mother.

Amit K Sagar said...

वाह! शब्द शब्द "माँ" हो गया है. बहुत सुन्दर रचना. वधाई. जारी रहें.

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क्या आप हैं उल्टा तीर के लेखक/लेखिका? होने वाली एक क्रान्ति- विजिट करें- http://ultateer.blogspot.com

Asha Joglekar said...

Vijay joshee jee mai to aapko janati tak nahee na hee kabhee aapke blog par aaee hoon. maine to aapki kawita ko toda nahee jo muze sooza wahee likha fir bhee anjane men aapke dil dukha hai to kshama chati hoon par aisee ulti seedhi bat kehana kawi ko shabha nahee deta.

DC said...

आशा जी ..आपकी कविता का शब्द-विन्यास,शैली,भाव और यहाँ तक कि कुछ शब्द भी विजय जोशीजी की कविता से मिलते जुलते हैं .इसलिए प्रथम दृष्टया यही प्रतीत होता है कि रचना कहीं न कहीं उससे प्रभावित है. और यदि नहीं है तो मैं आपसे क्षमा चाहूँगा ,हालाँकि ऐसी समानता विरले ही देखने को मिलती है .कृपया मेरे उल्टे-पुलते कथनों पर विचार न कर मुझे क्षमा कर दें ..
और हाँ विजय जोशी जी ब्लोगिंग नहीं करते .मैं उनकी रचनाएँ एक अरसे से देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में पढता आया हूँ .मेरा उनसे केवल इतना ही नाता है.

Unknown said...

अब अम्मा के हाथ थके और आँखों के सूरज बदराये,
फिर भी तो होटों पे हरदम एक मुस्कान खिलाती अम्मा
wah asha ji ..maa ka naam aate hi dil mein gudgudi ho jati hai ...man prem aur viswas se bhr jata hai ..maa meri dost meri sakha meri margdarshak ...aur wo jisse mein hazar baar rootha wom mujse kabhi nahi roothi ...wah ....ashaji ...dhanyawad..

PreRna SinGH said...

Bahut hi suder...dil ko chuti...pyar si piroee..kavita mai pyar si bekhartiii Amma,,,,