Tuesday, October 5, 2010

अजन्मी बिटिया के मन की पुकार

सपने में आई
ठुमकती-ठुमकती
रुनझुन करती
शरमाई, सकुचाई
नन्ही-सी परी
धीरे से बोली
माँ के कान में
माँ!तू मुझे जनम तो देती।

मैं धरती पर आती
मुझे देख तू मुस्कुराती,
तेरी पीड़ा हरती,
दादी की गोद में
खेलती-मचलती,
घुटवन चलती,
ख़ुशियों से बाबुल की
मैं झोली भरती,
पर जनम तो देती माँ!
तू मुझे जनम तो देती।

मैयाँ-मैयाँ चलती मैं
बाबुल के अँगना में
डगमग डग धरती,
घर के हर कोने में
फूलों-सी महकती,
घर की अँगनाइयों में
रिमझिम बरसती,
माँ-बापू की
बनती मैं दुलारी,
पर जनम तो देती माँ!
तू मुझे जनम तो देती।

तोतली बोली में
चिड़ियों को बुलाती,
दाना चुगाती
उनके संग-संग
मैं भी चहकती,
दादी का भी
मन बहलाती,
बाबा की मैं
कहलाती लाड़ली,
पर जनम तो देती माँ!
तू मुझे जनम तो देती।

आँगन बुहारती
गुड़ियों का ब्याह रचाती
बाबुल के खेत पर
रोटी पहुँचाती,
सबकी आँखों का
बनती मैं सितारा,
पर जनम तो लेती माँ!
जनम तो लेती मैं।

ऊँचाइयों पर चढ़ती,
धारा के साथ-साथ
आगे ही आगे बढ़ती,
तेरे कष्टों को
मैं दूर करती,
तेरे तन-मन में
दूर तक उतरती,
जीवन के अभावों को
नन्हे भावों से भरती,
तेरे जीवन की
बनती मैं आशा,
पर जनम तो देती माँ!
तू मुझे जनम तो देती।

ओढ़ चुनरिया
बनती दुल्हनियाँ
अपने भैया की
नटखट बहनियाँ,
ससुराल जाती तो
दोनों कुलों की
लाज मैं रखती,
देहरी दीपक बन
दोनों घरों को
भीतर और बाहर से
जगमग मैं करती,
सावन में मेहा बन
मन-आँगन भिगोती,
भैया की कलाई की
राखी मैं बनती,
बाबुल के
तपते तन-मन को
छाया मैं देती,
पर जनम तो देती माँ!
तू मुझे जनम तो देती।

माँ बनती तो
तेरे आँगन को मैं
खुशियों से भरती,
बापू की आँखों की
रोशनी बनकर
जीवन में आशा का
संचार करती
तेरे आँगन का
बिरवा बनकर
तेरी बिटिया बनकर
माटी को मैं
चन्दन बनाती,
दुख दूर करती सारे
सुख के गीत गाती,
पर जनम तो देती माँ!
तू मुझे जनम तो देती।

तेरे और बापू के
बुढ़ापे की लकड़ी बनकर
डगमग जीवन का
सहारा मैं बनती,
संघर्षों की धूप में
तपते तन को
देती मैं छाया

उदास मन को
देती मैं दिलासा,
पर जनम तो लेती
मैं जनम तो लेती
माँ!जनम तो देती
तू मुझे जनम तो देती।

डॉ. मीना अग्रवाल

40 comments:

संजय भास्‍कर said...

aapke sabdo itni jaan hai. bahut achhe all the best.

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब -- भावमय रचना के लिये बहुत बहुत बधाई

रंजू भाटिया said...

बहुत सच्चा दर्द जी लफ़्ज़ों से ब्यान हो गया ..

Asha Joglekar said...

तेरे आँगन का
बिरवा बनकर
तेरी बिटिया बनकर
माटी को मैं
चन्दन बनाती,
दुख दूर करती सारे
सुख के गीत गाती,
पर जनम तो देती माँ!
तू मुझे जनम तो देती।
बहुत ही भाव प्रवण कविता ।

Unknown said...

Successful people are always looking for opportunities to help others. Unsuccessful people are always asking, "What's in it for me?"

Dr u r Success in message
____wish u all the best

अजय कुमार said...

सुंदर भावों की प्रस्तुति के लिये आभार ।

seema gupta said...

मन को छु गयी ये अभिव्यक्ति..
regards

mridula pradhan said...

bhawbhini.

Ejaz Ul Haq said...

PM to seek RBI’s views on Islamic banking इस्लामिक बैंक से सीख ले रिजर्व बैंक-PM

D said...

bohot hi arthapurna hai aapke bol... padhkar aansu aa gaye...
mein bhi aise hi kuch feelings shabdo mein utaarne ki koshish karti hun.. kabhi samay mile.. to padhiyega jaru..
Lovely Quotes, Poems and jokes

रावेंद्रकुमार रवि said...

बहुत बढ़िया!

NITESH JAY said...

dr. meena aapke kavita bahut hi marmek lagi my kanya bhrun hatya par 1 aak nikal raha hu my aap ke is kavita ka upyag usmy karna chahata hu pls. apne anumati pradan kare

NITESH JAY said...

dr. meena aapke kavita bahut hi marmek lagi my kanya bhrun hatya par 1 aak nikal raha hu my aap ke is kavita ka upyag usmy karna chahata hu pls. apne anumati pradan kare

pawan said...

Manviya samvednaon se bharpoor hai. agar insaan pade to vakai samvedna jagrit hoti hain. Bahut achchha hai.

Tausif Hindustani said...

बिलकुल दिल की पुकार जैसी चोट करती है दिल पर
dabirnews.blogspot.com

सु-मन (Suman Kapoor) said...

भावपूर्ण अभिव्यक्ति.............

Manav Mehta 'मन' said...

बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति.........

http://saaransh-ek-ant.blogspot.com

Shikha Kaushik said...

ek beti kitni pyari hoti hai aur kitna pyar karti hai ghar ke har sadasy se -sundar bhavon ko pradarshit karti bhavbhari kavita !badhai !

Mukesh said...
This comment has been removed by the author.
Mukesh said...

एक अच्छी और लम्बी कविता..........एक महाकाव्यात्मक विषयवस्तु................एक कटु यथार्थ................एक स्वागतयोग्य विचार.........और बहुत कुछ निहित है इसमें

डा.मीना अग्रवाल said...

मेरी कविता को आप सबने सराहा ,बहुत-बहुत आभार.नितेश जी आप अपनी पत्रिका में छाप सकते हैं. जब पत्रिका छप जाए तो उसकी एक प्रति मेरे पास इस पते पर अवश्य भेज दें.पता है--
डॉ. मीना अग्रवाल
16 साहित्य विहार
बिजनौर(उ0प्र0)
246701

Anonymous said...

waah... bahut khoob

smshindi By Sonu said...

अति सुन्दर

smshindi By Sonu said...

आप मेरे ब्लाग "smshindi" पर पधारे आपका स्वागत...
आपका ब्लाग बहुत अच्छा है मैं आपके ब्लाग को फालो कर रहा हूँ । आप भी कृपया मेरे ब्लाग "smshindi" को फालो करें. धन्यवाद...

http://smshindi-smshindi.blogspot.com

PST said...

भावपूर्ण ... संवेदनशील.. साहित्यिक... . .. बधाई.
:
प्रियंक ठाकुर
www.meri-rachna.blogspot.com

#vpsinghrajput said...

नमस्कार जी
बहुत खूबसूरती से लिखा है.

Anonymous said...

ACHCHHA LIKHTE HO LIKHA KARO

ManPreet Kaur said...

Merry Christmas
hope this christmas will bring happiness for you and your family.
Lyrics Mantra

वीना श्रीवास्तव said...

तेरे और बापू के
बुढ़ापे की लकड़ी बनकर
डगमग जीवन का
सहारा मैं बनती,
संघर्षों की धूप में
तपते तन को
अजन्मी बिटिया यही पूछेगी...बहुत भावपूर्ण सुंदर रचना

शिवा said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति
kabhi samay mile to yahan //shiva12877.blogspot.com per bhe aayen.

Unknown said...

kripya meri kavita padhe aur upyukt raay den..
www.pradip13m.blospot.com

विक्की निम्बल said...

तुम क्यूँ न हुए मेरे ........

तुम बिन जीना मुहाल,
तुम बिन मरना भी मुश्किल.
आँखों की उदासी सब कह दे,
जो न कह पाया ये दिल.
दिल ने तो सब कह डाला था,
पर तुम ही समझ नहीं पाए.
वो लफ्ज़ नहीं तुम सुन पाए,
जो लफ्ज़ जुबां तक न आए.
क्या करूँ शिकायत अब तुमसे,
जब फर्क नहीं पड़ने वाला.
कोरी पुस्तक के लिक्खे को,
है कौन यहाँ पढने वाला.
भीगी आँखें जो पढ़ न सका,
वो कहा सुना क्या समझेगा.
बस अपने मन की कह देगा,
बस अपने मन की कर लेगा.
कुछ नहीं पूछना है तुमसे ,
उपकार बहुत मुझ पर तेरे,
बस इतना मुझको बतला दो....
तुम क्यूँ न हुए मेरे...
तुम क्यूँ न हुए मेरे .........

V.B. Seriese.

VIVEK VK JAIN said...

meena ji aap bahut achha likhti h.

Anonymous said...

Doctor, Itna achha mat Likha karo, ki aansoo bhari aankhein parh hi na paayein

मदन शर्मा said...

बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति.........

Manish said...

बहुत खूब -- भावमय रचना के लिये बहुत बहुत बधाई manish verma Ghaziabad

Manish said...

बहुत खूब -- भावमय रचना के लिये बहुत बहुत बधाई manish verma Ghaziabad

मदन शर्मा said...

पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ |
सभी कविताएं रोचक एवं बेजोड़|
वाह...किन शब्दों में इस अप्रतिम रचना की प्रशंशा करूँ...बेजोड़..
कृपया मेरे ब्लॉग पर आयें http://madanaryancom.blogspot.com/

Unknown said...

Anshu Madan said to all.......
I Love u mom.............
os ki bond hoti h betiya
eshawar ki sarshti hoti h betiya
dhara ka basant hoti h betiya
moti ki chamak hoti h betiya
chanchal titli k pakh hoti h betiya
magar booj nhi banne ko
janam leti h betiya.........

rajiv said...

beti kabhi beti
beti kabhi behan bhi hoti hai
beti kabhi kisi ki patni banti
beti "maa" godess bhi kehlati hai
betiyon se jag sundar sara betiyon se ye sristi bhi chalti hai.
betiyon ko bhagwan pujte..
tobe continued..
aapki kavita padhkar pehli baar kuch likhne ko dil kiya isliye adhoori kvitalikhi hai.. but u r a great kavi...