" माँ और पिता "
ईश्वर की बनाई ममता की मूरत है 'माँ' ,
ईश्वर ने गढ़ी वो अनमोल कृति है 'पिता' !
जीवन की तपती धूप में शीतल छाँव है 'माँ' ,
जीवन के अंधेरों में प्रदीप्त लौ है 'पिता' !
ज़िन्दगी के आशियाने का स्तंभ है 'माँ' ,
उस स्तंभ का आधार-नींव है 'पिता' !
मेरे जीवन का अस्तित्व है जिनसे ,
ईश्वर की वो अनमोल सौगात है - 'माँ और पिता' !
- सोनल पंवार
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15 comments:
बड़ी सुन्दर बात कही आपने।
मन को छूने वाली पंक्तियाँ.... बहुत सुंदर
सहमत हे जी आप की इस सुंदर रचना से
सोनल पंवार जी को
उनकी सुंदर रचना
" माँ और पिता " के लिए हार्दिक बधाई और आभार !
सच है,
जीवन की तपती धूप में शीतल छाँव है 'माँ' ,
जीवन के अंधेरों में प्रदीप्त लौ है 'पिता' !
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
sach h......
sach h......
sach h......
sach h......
sach h......
seedhi aur sachchi baat .....
Thank u all for ur valuable comments.
वाकई पिता अनमोल और मां ममता की छांव है....
बहुत सुंदर लिखा है आपने
मन को छू गई
सच्ची और सही बात - - शुभ आशीष
सचमुच।
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अंतरिक्ष में वैलेंटाइन डे।
अंधविश्वास:महिलाएं बदनाम क्यों हैं?
बहुत सुंदर............
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