Tuesday, January 25, 2011

'माँ और पिता'

" माँ और पिता "

ईश्वर की बनाई ममता की मूरत है 'माँ' ,
ईश्वर ने गढ़ी वो अनमोल कृति है 'पिता' !
जीवन की तपती धूप में शीतल छाँव है 'माँ' ,
जीवन के अंधेरों में प्रदीप्त लौ है 'पिता' !
ज़िन्दगी के आशियाने का स्तंभ है 'माँ' ,
उस स्तंभ का आधार-नींव है 'पिता' !
मेरे जीवन का अस्तित्व है जिनसे ,
ईश्वर की वो अनमोल सौगात है - 'माँ और पिता' !

- सोनल पंवार

15 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

बड़ी सुन्दर बात कही आपने।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

मन को छूने वाली पंक्तियाँ.... बहुत सुंदर

राज भाटिय़ा said...

सहमत हे जी आप की इस सुंदर रचना से

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

सोनल पंवार जी को
उनकी सुंदर रचना
" माँ और पिता " के लिए हार्दिक बधाई और आभार !

सच है,
जीवन की तपती धूप में शीतल छाँव है 'माँ' ,
जीवन के अंधेरों में प्रदीप्त लौ है 'पिता' !



गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !

- राजेन्द्र स्वर्णकार

VIVEK VK JAIN said...

sach h......

VIVEK VK JAIN said...

sach h......

VIVEK VK JAIN said...

sach h......

VIVEK VK JAIN said...

sach h......

VIVEK VK JAIN said...

sach h......

सु-मन (Suman Kapoor) said...

seedhi aur sachchi baat .....

sonal said...

Thank u all for ur valuable comments.

वीना श्रीवास्तव said...

वाकई पिता अनमोल और मां ममता की छांव है....
बहुत सुंदर लिखा है आपने
मन को छू गई

Anonymous said...

सच्ची और सही बात - - शुभ आशीष

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

सचमुच।

---------
अंतरिक्ष में वैलेंटाइन डे।
अंधविश्‍वास:महिलाएं बदनाम क्‍यों हैं?

purnima said...

बहुत सुंदर............