Tuesday, October 7, 2008

माँ !!!

जहां बचपन अपना छिपता उस पल्लू मैं,  है ये.... माँ
जहा चैन की नींद सोए..उस गोदी मै, है ये ......मा
जहा जीद करके किए है पूरे..उस अरमान मै, है ये..... माँ
जिसके गुस्से मै भी छलकता है...उस प्यार मै, है ये......माँ
जब कोई ना मिले तब रोने को..मिलते कंधे मै, है ये.....माँ
जिसकी सदा होती है..उस्स आरज़ू मै, है ये.....माँ
जिसका स्थान है सदा जहा..उस मन मै, है ये.....माँ
जहा छुपे है राज़ हमाँरे ..उस दिल मै है, ये......माँ
जिसके बिना लगे सूनापन..उस जीवन में, है ये .... माँ
जिसपे अंधा भरोसा है..वो सच्ची दोस्त, है ये .....माँ
जिसकी मौजूदगी फैलती जीवन मै..वो *खुशी*, है ये.....माँ

8 comments:

Unknown said...

मां पर कविता लिखा अच्छा लगा पढ़ के ।

Unknown said...

bahut sundar

Shastri JC Philip said...

बहुत सुंदर कविता! अर्थपूर्ण!

उम्मीद है कि मेरा हलका सा संपादन आपने नोट कर लिया होगा!!



-- शास्त्री जे सी फिलिप

-- बूंद बूंद से घट भरे. आज आपकी एक छोटी सी टिप्पणी, एक छोटा सा प्रोत्साहन, कल हिन्दीजगत को एक बडा सागर बना सकता है. आईये, आज कम से कम दस चिट्ठों पर टिप्पणी देकर उनको प्रोत्साहित करें!!

* મારી રચના * said...

thanks neeshboo and mehek..
shukriya shastriji.... hamari galation ko sudharne ke liye...

Asha Joglekar said...

जिसकी मौजूदगी फैलती जीवन मै..वो *खुशी*, है ये.....माँ
एकदम सच ।

रंजू भाटिया said...

अच्छी लगी आपकी लिखी यह कविता

Unknown said...

dil ko cho gya

Unknown said...

dil ko cho gya