Wednesday, October 29, 2008

माँ के ख़त


माँ ..
दीवाली के रोशन दीयों की तरह
मैंने तुम्हारी हर याद को
अपने ह्रदय के हर कोने में
संजों रखा है

आज भी सुरक्षित है
मेरे पास तुम्हारा लिखा
वह हर लफ्ज़
जो खतों के रूप में
कभी तुमने मुझे भेजा था

आशीर्वाद के
यह अनमोल मोती
आज भी मेरे जीवन के
दुर्गम पथ को
राह दिखाते हैं
आज भी रोशनी से यह
जगमगाते आखर और
नसीहत देती
तुम्हारी वह उक्तियाँ
मेरे पथ प्रदर्शक बन जाते हैं
और तुम्हारे साथ -साथ
चलने का
एक मीठा सा एहसास
मुझ में भर देते हैं ..

रंजना [रंजू ] भाटिया

23 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुंदर कविता।

श्रीकांत पाराशर said...

Maa to maa hoti hai, sab kuchh kho jaye tab bhi uski anubhuti nahin khoti hai, maa to maa hoti hai. aapne apni rachna men maa ko jo samman diya hai, vah uski hakdar hai. bahut achhi racna Ranjanaji.

Dr.Bhawna Kunwar said...

bahut achi rachna ha badhi..dipavali ki shubhkamnayen..

mamta said...

अत्यन्त सुंदर रचना ।
आपको और आपके परिवार को दिवाली की बधाई ।

श्यामल सुमन said...

मैं रोया परदेश में भींगा माँ का प्यार।
दिल ने दिल से बात की बिन चिठ्ठी बिन तार।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

makrand said...

bahut sunder
god can not be every where so he created ma
regards

kavi kulwant said...

Ati sundar...
badhayee...
hapapy diwali..

Mohinder56 said...

सुन्दर भावनाप्रधान अभिव्यक्ति...मां के प्रति एक आभार... बधाई

फ़िरदौस ख़ान said...

माँ ..
दीवाली के रोशन दीयों की तरह
मैंने तुम्हारी हर याद को
अपने ह्रदय के हर कोने में
संजों रखा है

सुंदर कविता...

Udan Tashtari said...

सुंदर रचना...
आपको और आपके परिवार को दिवाली की बधाई.

समय चक्र said...

सुंदर रचना...

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

maa, jisake jaisa koi nahee. naa bhooto naa bhawishyate.

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

उस माँ को सादर प्रणाम्‌ ...।

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

ma par aapki kavita hamesha ki tarah sunder hai

Aadarsh Rathore said...

अति उत्तम

सुनीता शानू said...

और तुम्हारे साथ -साथ
चलने का
एक मीठा सा एहसास
मुझ में भर देते हैं ..

एक पल के लिये बचपन की यादें ताज़ा हो उठी.जब माँ उँगली पकड़ हमें साथ-साथ चलाती थी...

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

maa kyaa hai.... maa...bas maa...tulnaa mat karo...tulnaa bah jayegi...

PREETI BARTHWAL said...

रंजना जी बहुत ही भावपूर्ण रचना है।

sandhyagupta said...

Man ko chu gayi. Shubkaamnayen.

guptasandhya.blogspot.com

सचिन said...

aap hamesa ki tarah phir se shandar ho. apni is rachna k sath

punit said...

अत्यंत सुन्दर अभिव्यक्ति .........

#vpsinghrajput said...

दीवाली के रोशन दीयों की तरह
मैंने तुम्हारी हर याद को
अपने ह्रदय के हर कोने में
संजों रखा है bahut bahut achhi racna Ranjanaji.

Unknown said...

every one loves her mom but some people never looks at their father why? is there any mistake in thinking. is your father don't loves u he loves but he never says because of that? or something wrong in ur all thinking.
When i talks with my father some rudely then my mom says u should not with ur father like this he loves u very much and then i feels very guilty.