माँ
है क्या ?
एक ऐसी मूरत
छाँव तले है जिसकी
सारे गम हम भूल जाते !
माँ
है क्या ?
एक ऐसी सूरत
छवि में है जिसकी
ईश्वर का सानिध्य पाते !
माँ
है क्या ?
एक ऐसी सीरत
करुणा के आगे जिसकी
ख़ुद ईश्वर भी नत हो जाते !
– सोनल पंवार
(spsenoritasp@gmail.com)
(http://princhhi.blogspot.com)
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
5 comments:
माँ
सर्वस्व है
-बहुत सुन्दर!!
"एक ऐसी सीरत
करुणा के आगे जिसकी
ख़ुद ईश्वर भी नत हो जाते"
सोनल जी,
आप की इस लघु कविता ने, और खास कर ऊपर की पंक्तियों ने, दिल को गहराई से छू लिया. दिल का कोई तार झंकृत कर गया.
कृपया माँ चिट्ठे पर अपनी रचनायें छापती रहें!!
सस्नेह -- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
मां की महिमा
अपरम्पार
जीवन का सच्चा
सार।
धन्यवाद !
pass bulati hain kitna satati hain
yaad tumhari jab jab mujhko ati hain maa o maa
ma jannat hain
ma kuda hain
Post a Comment