Friday, July 17, 2009

माँ ( Staircase)

माँ
है क्या ?
एक ऐसी मूरत
छाँव तले है जिसकी
सारे गम हम भूल जाते !
माँ
है क्या ?
एक ऐसी सूरत
छवि में है जिसकी
ईश्वर का सानिध्य पाते !
माँ
है क्या ?
एक ऐसी सीरत
करुणा के आगे जिसकी
ख़ुद ईश्वर भी नत हो जाते !

– सोनल पंवार
(spsenoritasp@gmail.com)
(http://princhhi.blogspot.com)

5 comments:

Udan Tashtari said...

माँ

सर्वस्व है


-बहुत सुन्दर!!

Shastri JC Philip said...

"एक ऐसी सीरत
करुणा के आगे जिसकी
ख़ुद ईश्वर भी नत हो जाते"

सोनल जी,

आप की इस लघु कविता ने, और खास कर ऊपर की पंक्तियों ने, दिल को गहराई से छू लिया. दिल का कोई तार झंकृत कर गया.

कृपया माँ चिट्ठे पर अपनी रचनायें छापती रहें!!

सस्नेह -- शास्त्री

हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info

अविनाश वाचस्पति said...

मां की महिमा
अपरम्‍पार
जीवन का सच्‍चा
सार।

sonal said...

धन्यवाद !

Unknown said...

pass bulati hain kitna satati hain
yaad tumhari jab jab mujhko ati hain maa o maa
ma jannat hain
ma kuda hain