Wednesday, October 15, 2008

संसार का सबसे मीठा शब्द ""माँ""


शब्दों का संसार रचा
हर शब्द का अर्थ नया बना
पर कोई शब्द
छू पाया
माँ शब्द की मिठास को

माँ जो है ......
संसार का सबसे मीठा शब्द
इस दुनिया को रचने वाले की
सबसे अनोखी और
आद्वितीय कृति

है यह प्यार का
गहरा सागर
जो हर लेता है
हर पीड़ा को
अपनी ही शीतलता से

इंसान तो क्या
स्वयंम विधाता
भी इसके मोह पाश से
बच पाये है
तभी तो इसकी
ममता की छांव में
सिमटने को
तरह तरह के रुप धर कर
यहाँ जन्म लेते आए हैं

रंजना [रंजू ] भाटिया

17 comments:

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुन्दर अभिव्यक्ति! माँ पहला शब्द है जो इंन्सान पैदा होने के बाद सीखता है वह भी शायद बिना सिखाए।

Satish Saxena said...

वाकई, रंजना जी !
संसार का सबसे मीठा और पहला शब्द "माँ"

seema gupta said...

है यह प्यार का
गहरा सागर
जो हर लेता है
हर पीड़ा को
अपनी ही शीतलता से
'sach kha, ek bhut meetha ehsas"

regards

Nitish Raj said...

सच कहा है आपने, सही रचना, मां तो अनमोल है ही। सबसे बड़ा एहसास।

संगीता पुरी said...

इंसान तो क्या
स्वयंम विधाता
भी इसके मोह पाश से
बच न पाये है
तभी तो इसकी
ममता की छांव में
सिमटने को
तरह तरह के रुप धर कर
यहाँ जन्म लेते आए हैं ॥
क्या बात कही ....बहुत बहुत आभार ...और बधाई ....ऐसी सुंदर कविता के लिए ।

श्रीकांत पाराशर said...

Maa sabd to hota hi hai mitha aur mamta se sarabor. ek mithi rachna ke liye dhanywad.

रंजना said...

माँ जो है ......
संसार का सबसे मीठा शब्द
इस दुनिया को रचने वाले की
सबसे अनोखी और
आद्वितीय कृति "

ekdam satya. aur kuch kaha hi nahi ja sakta.

अविनाश वाचस्पति said...

मां
ममता
मिठास
म की
महानता।

मम
हृदय
डोला
गोद
बिछौना।

बना
खिलौना
मैं
मां का।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

माँ सँसार का सबसे बडा शब्द है - सुँदर कृति !!

gsbisht said...

संसार का सबसे मीठा शब्द ""माँ""

अद्भुत अभिव्यक्ति!

RADHIKA said...

माँ शब्द की बहुत ही मीठी अभिव्यक्ति की हैं आपने बधाई

Asha Joglekar said...

तभी तो इसकी
ममता की छांव में
सिमटने को
तरह तरह के रुप धर कर
यहाँ जन्म लेते आए हैं ॥
बहुत सुंदर सच ।

BrijmohanShrivastava said...

दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं /दीवाली आपको मंगलमय हो /सुख समृद्धि की बृद्धि हो /आपके साहित्य सृजन को देश -विदेश के साहित्यकारों द्वारा सराहा जावे /आप साहित्य सृजन की तपश्चर्या कर सरस्वत्याराधन करते रहें /आपकी रचनाएं जन मानस के अन्तकरण को झंकृत करती रहे और उनके अंतर्मन में स्थान बनाती रहें /आपकी काव्य संरचना बहुजन हिताय ,बहुजन सुखाय हो ,लोक कल्याण व राष्ट्रहित में हो यही प्रार्थना में ईश्वर से करता हूँ ""पढने लायक कुछ लिख जाओ या लिखने लायक कुछ कर जाओ ""

अवाम said...

मां
कितना याद
आती है
मां.
बार-बार
याद आती है
मां.
गांव छोड़कर
शहर तो आ गया
पर
बिन तेरे
रह नहीं पाता
मां
याद आती है
तेरे हाथ की बनी
रोटियां और
तेरा दुलार
कितना अच्छा होता
कि
गांव में ही मिल
जाता रोजगार
ताकि
दूर न होती
तेरी ममता की छाँव और
प्यार

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

seemaa ji ke shabdon men....


है यह प्यार का
गहरा सागर
जो हर लेता है
हर पीड़ा को
अपनी ही शीतलता से
'sach kha, ek bhut meetha ehsas"

regards

कडुवासच said...

...जो हर लेता है
हर पीड़ा को ...
... प्रसंशनीय रचना है।

hindustani said...

aap dil ko chune vali baat likhte hai.