अब आगे..........
दहेज़ में देने के लिए हाथी आ ही गया था ।
समय सुखमय चल रहा था, बाबा विनोबा भाबे का भूदान आन्दोलन जोरो पर चल रहा था । जमींदार स्वेचा से अपनी जमीं उनेह भेट कर रहे थे । लेकिन बज्रपात जमिन्दरिया समाप्त कर दी गई, सीलिंग लागु हो गई ।
खर्चे उतने ही थे आमदनियां कम हो गई । उस समय के भारत में वैसे भी उपज कम होती थी, सैकडो बीघा खेत में कुछ ही कुंतल फसल होती थी सिचाई के साधन भी सीमित थे, सुब कुछ प्रक्रति पर निर्भेर था ।
पहले जमींदारी के समय औरो से लगान, महसूल बसूल किया जाता था । सब खत्म हो गया था । जो घोडो , हातियों से सफर करते थे वोह हल जोतने को मजबूर थे । जो समय के साथ बदल गए वोह सुखी हो गये और जो न बदले वोह धीरे -धीरे कंगाली की तरफ बढ़ गए । उनका अतीत उनेह यह समजने नहीं देता था कि समय बदल गया है, और समय के साथ न बदले तो मिट जाओगे ।
खैर मेरे नाना बदले और एक किसान के रूप में भी सफल हुए. लेकिन समय करवट लेता रहता है । मनुष्य रूप में जन्मे भगवान को भी कष्ट सहने पड़ते है ।
एक दिन खेत पर लडाई हुई, पानी को लेकर दोनों तरफों से गोली चली मेरे नाना के हाथ से दो कत्ल हो गए उनका निशाने बाज़ होना काम आया । जिदगी तो बच गई गृहस्थी उजड़ गई ।
नाना और बड़े मामा जेल चले गए. मुकद्दमा चला और नानाजी को उम्र कैद हो गयी । एक घर बर्बाद हुआ कि उसका मरा था । और एक घर इसलिए बर्बाद हो गया उसके हाथ से मरा । दुश्मनी दोनों पक्षों को बर्बाद करती है मैंने नज़दीक से महसूस किया है .......
शेष फिर .......
6 comments:
आप बहूत अची गजल लिखते है. धन्यवाद जो आप मेरे ब्लॉग पर आए
आप बहूत aacha लिखते है. धन्यवाद जो आप मेरे ब्लॉग पर आए
Ati uttam rachana ka rasaswadan hua!...dhanyawad!
जो समय के साथ बदल गए वोह सुखी हो गये और जो न बदले वोह धीरे -धीरे कंगाली की तरफ बढ़ गए । उनका अतीत उन्हें यह समझने नहीं देता था कि समय बदल गया है, और समय के साथ न बदले तो मिट जाओगे ।
पते कि बात की है यह आपने
दुश्मनी कहीं का नही छोड़ती है ..आगे क्या हुआ इसको जानने का इन्तजार है
Thank you for the nice comments on my blog. Unfortunately I can'r read yours. What an interesting script!
एक घर बर्बाद हुआ कि उसका मरा था । और एक घर इसलिए बर्बाद हो गया उसके हाथ से मरा । दुश्मनी दोनों पक्षों को बर्बाद करती है । सही कहा ।
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