आज गोपाल याद आ रहा है।
“डाक्टर मेरे पेट में बहुत ज़ोर से दुख रहा है। देखो ना”
भोली सी उसकी शक्ल....मासूम सी आवाज़....पास ही रहता था....
क्या हुआ...??.शुरुआत में बड़ा दिल लगाकर उसे देखती, परखती....पर कुछ समझ नहीं आता।
उसकी एकटक निगाहें मुझे देखती रहती। कुछ देर बाद उसका दर्द गायब हो जाता और वह अपनी दिनचर्या सुनाने लगता।
स्कूल, दोस्त, पढ़ाई, खेल सभी के बारे में कहने के लिये इतना कुछ.....नहीं कहता तो अपने परिवार के बारे में। अक्सर देखा था...उसकी माँ,पापा,बहन.....साधारण सा ही परिवार था...आर्थिक स्थिति भी ठीक ही लगती थी.....पर कुछ तो कमी उस बच्चे में झलकती थी।
अब तो गोपाल हर रोज़ आने लगा था। मुझे भी उससे लगाव होने लगा था। मेरे साथ ही बैठ नास्ता कर लेता..... “कितने बड़े नाखून हो गये हैं...काटते क्यों नहीं ?”, मैं झिड़कती...तो वह भोलेपन से लाड़ करके कहता.... “काट दो ना!!”
उस दिन मैं व्यस्त थी...देखा था गोपाल को....उतरा सा चेहरा.....पर मुझे जाना था.....
“सिस्टर ज़रा गोपाल को देखना ” बोलकर मैं बाहर के लिये निकल गई।
लौटी तो काफी देर हो गई थी। गोपाल वहीं था। बिस्तर पर लेटा हुआ।
शरीर तप रहा था। पास गई तो मेरी तरफ सिमट गया। “इसे यहाँ क्यूँ रहने दिया है....घर भेजना चाहिये ना....इसकी माँ को कहा कि नहीं”
सिस्टर कुछ कहती उससे पहले....गोपाल के तपते हाथों ने मेरी उँगली पकड़ी...... “मैं घर नहीं जाऊँगा।
मेरे पास बैठो ना”
कब मेरी गोदी में आया और सो गया पता ही नहीं लगा। उसके पापा को पूछा था...तो कहा , “आपको तकलीफ ना हो तो रहने दो उसे।”
सो कर उठा तो तरोताजा लग रहा था.....मैने कहा..., “चलो घर जाओ माँ चिन्ता कर रही होगी....
"माँ तो भगवान के पास है...।”
मेरे चेहरे को पढ़ते हुए गोपाल बोला..., “जो घर में है....मुझे माँ नहीं लगती.....।”
“मैं जाऊँ” कहकर दरवाजे तक गया....पिर दौड़कर वापस आ गया.... “मुझे आप बहुत अच्छी लगती हैं..”,फिर भाग कर ओझल हो गया।
एक दो बार फिर आया.....फिर नहीं आया....पियोन ने बताया उनका तबादला हो गया है।
पर गोपाल अक्सर याद आ जाता है....कभी जब मेरा बेटा बीमार होता है....कभी जब माँ याद आती है...।
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6 comments:
achchi kahani
मासूम को आपका स्नेहिल स्पर्श मिला, शायद यही उसके लिए सबसे बड़ी सौगात रही हो। बिन माँ-बाप के बच्चों को यही तो नसीब नहीं होता।
माँ की चाहत सभी को होती है। वह जहाँ भी मिल जाए लगता है सब कुछ मिल गया।
सुंदर कहानी । गोपाल को माँ आप में ही मिली होगी ।
अच्छी लगी यह कहानी
bahot badhya, dhnyabad, दीपावली की हार्दिक शुबकामनाएं
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