माँ ..
दीवाली के रोशन दीयों की तरह
मैंने तुम्हारी हर याद को
अपने ह्रदय के हर कोने में
संजों रखा है
आज भी सुरक्षित है
मेरे पास तुम्हारा लिखा
वह हर लफ्ज़
जो खतों के रूप में
कभी तुमने मुझे भेजा था
आशीर्वाद के
यह अनमोल मोती
आज भी मेरे जीवन के
दुर्गम पथ को
राह दिखाते हैं
आज भी रोशनी से यह
जगमगाते आखर और
नसीहत देती
तुम्हारी वह उक्तियाँ
मेरे पथ प्रदर्शक बन जाते हैं
और तुम्हारे साथ -साथ
चलने का
एक मीठा सा एहसास
मुझ में भर देते हैं ..
रंजना [रंजू ] भाटिया
दीवाली के रोशन दीयों की तरह
मैंने तुम्हारी हर याद को
अपने ह्रदय के हर कोने में
संजों रखा है
आज भी सुरक्षित है
मेरे पास तुम्हारा लिखा
वह हर लफ्ज़
जो खतों के रूप में
कभी तुमने मुझे भेजा था
आशीर्वाद के
यह अनमोल मोती
आज भी मेरे जीवन के
दुर्गम पथ को
राह दिखाते हैं
आज भी रोशनी से यह
जगमगाते आखर और
नसीहत देती
तुम्हारी वह उक्तियाँ
मेरे पथ प्रदर्शक बन जाते हैं
और तुम्हारे साथ -साथ
चलने का
एक मीठा सा एहसास
मुझ में भर देते हैं ..
रंजना [रंजू ] भाटिया
23 comments:
सुंदर कविता।
Maa to maa hoti hai, sab kuchh kho jaye tab bhi uski anubhuti nahin khoti hai, maa to maa hoti hai. aapne apni rachna men maa ko jo samman diya hai, vah uski hakdar hai. bahut achhi racna Ranjanaji.
bahut achi rachna ha badhi..dipavali ki shubhkamnayen..
अत्यन्त सुंदर रचना ।
आपको और आपके परिवार को दिवाली की बधाई ।
मैं रोया परदेश में भींगा माँ का प्यार।
दिल ने दिल से बात की बिन चिठ्ठी बिन तार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
bahut sunder
god can not be every where so he created ma
regards
Ati sundar...
badhayee...
hapapy diwali..
सुन्दर भावनाप्रधान अभिव्यक्ति...मां के प्रति एक आभार... बधाई
माँ ..
दीवाली के रोशन दीयों की तरह
मैंने तुम्हारी हर याद को
अपने ह्रदय के हर कोने में
संजों रखा है
सुंदर कविता...
सुंदर रचना...
आपको और आपके परिवार को दिवाली की बधाई.
सुंदर रचना...
maa, jisake jaisa koi nahee. naa bhooto naa bhawishyate.
उस माँ को सादर प्रणाम् ...।
ma par aapki kavita hamesha ki tarah sunder hai
अति उत्तम
और तुम्हारे साथ -साथ
चलने का
एक मीठा सा एहसास
मुझ में भर देते हैं ..
एक पल के लिये बचपन की यादें ताज़ा हो उठी.जब माँ उँगली पकड़ हमें साथ-साथ चलाती थी...
maa kyaa hai.... maa...bas maa...tulnaa mat karo...tulnaa bah jayegi...
रंजना जी बहुत ही भावपूर्ण रचना है।
Man ko chu gayi. Shubkaamnayen.
guptasandhya.blogspot.com
aap hamesa ki tarah phir se shandar ho. apni is rachna k sath
अत्यंत सुन्दर अभिव्यक्ति .........
दीवाली के रोशन दीयों की तरह
मैंने तुम्हारी हर याद को
अपने ह्रदय के हर कोने में
संजों रखा है bahut bahut achhi racna Ranjanaji.
every one loves her mom but some people never looks at their father why? is there any mistake in thinking. is your father don't loves u he loves but he never says because of that? or something wrong in ur all thinking.
When i talks with my father some rudely then my mom says u should not with ur father like this he loves u very much and then i feels very guilty.
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