Wednesday, September 24, 2008

मेरी माँ

अपनी माँ के बारे लिखना एक भावुक कार्य है । उनकी महानता का चित्रण कहीं पाठक आत्म प्रशंसा न समझे । लेकिन अपनी माँ के बारे में लिख कर मैं अपने को धन्य समझूंगा ।

एक ऐसा खानदान जिसमे लड़कियां पैदा होते ही मार दी जाती थी क्योंकि ठाकुर और ऊपर से जमींदार । बहुत समझाने के बाद यह तय हुआ कि एक लड़की जो पहले पैदा हो वोही जिन्दा रखी जायेगी । लेकिन परस्थिति ऐसी कर दी जाती थी कि बेटी जिन्दा न रह सके जैसे माँ का दूध वर्जित ,कोई दवाई नहीं ,कोई ध्यान नहीं -और थोड़े दिन बाद बेटी अपने बाप का सर न झुकवा ने का कारण बन कर मुक्त हो जाती थी ।

उसी परिवार में जन्मी मेरी माँ , लेकिन मेरे नाना को न जाने क्या लगाव हो गया उन्होंने अपनी बेटी को जिन्दा रखने का फैसला किया .लेकिन उनकी माँ यह नहीं चाहती थी ,इसलिए बेटी कैसे मरे उसका प्रयास चलता रहा । बेटी को माँ के दूध की मनाही थी । परन्तु मेरे नाना और नानी ने शहर से डिब्बे वाला दूध जो अंग्रेज अपनी चाय बनाने के काम लाते थे मंगा कर चुपके से अपनी बेटी को पिलाते थे ।

आखिर कष्ट सहते हुए एक फैसला लिय गया और मेरी माँ को अपनी ननसाल भेज दिया । वहां उनके मामा जो मिलट्री में थे उन्होंने अपने पास रख कर पाला। मेरी माँ के बाद ही उस गावं में लड़की बचना शरू हुई । और एक नई शरुआत हुई ,बेटी बचाने की ।
शेष aage

7 comments:

UjjawalTrivedi said...

कड़वा सच लिखने के लिए धन्यवाद, आपने सच लिखा है- वाकई मान गये

Anita kumar said...

ऐसी विषम परिस्थतियों में भी मां बच सकी उन्हें तो सलाम करेगे ही करेगें आप के नाना नानी को भी सलाम

Shastri JC Philip said...

"उनकी महानता का चित्रण कहीं पाठक आत्म प्रशंसा न समझे । "

किसी भी मां की महानता को इस चिट्ठे पर आत्म प्रशंसा नहीं समझी जायगी. बल्कि हमारी राय यह है कि कभी भी किसी भी मां की प्रशंसा की जाये, वह कम है!!

-- शास्त्री जे सी फिलिप

हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info

Anonymous said...

sir dhnyabad, bahot badi sach apne bataya hai, vaise mai esajke bare me or jyada janna chahunga,

ho sake to mujhe bhaweshjha@yahoo.com
par mail kare. dhnyabad.

Asha Joglekar said...

आप की माँ की बदैलत ही हम आज आपका यह लेख पढ पाये है ।

रंजू भाटिया said...

बहुत बढ़िया ...बहुत ही अच्छा लगा यह पढ़ कर ...
यह तो एक प्रेरणा है आज के समय में भी

P.N. Subramanian said...

आपका लेख आपकी मानसिकता दर्शाती है. बहुत ही अच्छा.