माँ लफ्ज़ ज़िंदगी का वो अनमोल लफ्ज है ... जिसके बिना ज़िंदगी, ज़िंदगी नहीं कही जा सकती ...
********************************************************************************मेरा बचपन थक के सो गया माँ तेरी लोरियों के बग़ैर
एक जीवन अधूरा सा रह गया माँ तेरी बातो के बग़ैर
तेरी आँखो में मैने देखे थे अपने लिए सपने कई
वो सपना कही टूट के बिखर गया माँ तेरे बग़ैर.....
एक जीवन अधूरा सा रह गया माँ तेरी बातो के बग़ैर
तेरी आँखो में मैने देखे थे अपने लिए सपने कई
वो सपना कही टूट के बिखर गया माँ तेरे बग़ैर.....
आज तू बहुत दूर है मुझसे, पर दिल के बहुत पास है।
तुम्हारी यादों की वह अमूल्य धरोहर
आज भी मेरे साथ है,
ज़िंदगी की हर जंग को जीतने के लिए,
अपने सर पर मुझे महसूस होता आज भी तेरा हाथ है।
कैसे भूल सकती हूँ माँ मैं आपके हाथों का स्नेह,
जिन्होने डाला था मेरे मुंह में पहला निवाला,
लेकर मेरा हाथ अपने हाथों में,
दुनिया की राहों में मेरा पहला क़दम था जो डाला
जाने अनजाने माफ़ किया था मेरी हर ग़लती को,
हर शरारत को हँस के भुलाया था,
दुनिया हो जाए चाहे कितनी पराई,
पर तुमने मुझे कभी नही किया पराया था,
दिल जब भी भटका जीवन के सेहरा में,
तेरे प्यार ने ही नयी राह को दिखाया था
तुम्हारी यादों की वह अमूल्य धरोहर
आज भी मेरे साथ है,
ज़िंदगी की हर जंग को जीतने के लिए,
अपने सर पर मुझे महसूस होता आज भी तेरा हाथ है।
कैसे भूल सकती हूँ माँ मैं आपके हाथों का स्नेह,
जिन्होने डाला था मेरे मुंह में पहला निवाला,
लेकर मेरा हाथ अपने हाथों में,
दुनिया की राहों में मेरा पहला क़दम था जो डाला
जाने अनजाने माफ़ किया था मेरी हर ग़लती को,
हर शरारत को हँस के भुलाया था,
दुनिया हो जाए चाहे कितनी पराई,
पर तुमने मुझे कभी नही किया पराया था,
दिल जब भी भटका जीवन के सेहरा में,
तेरे प्यार ने ही नयी राह को दिखाया था
ज़िंदगी जब भी उदास हो कर तन्हा हो आई,
माँ तेरे आँचल ने ही मुझे अपने में छिपाया था
आज नही हो तुम जिस्म से साथ मेरे,
पर अपनी बातो से , अपनी अमूल्य यादो से
तुम हर पल आज भी मेरे साथ हो..........
क्योंकि माँ कभी ख़त्म नही होती .........
तुम तो आज भी हर पल मेरे ही पास हो.........
11 comments:
"माँ हर पल तुम साथ हो मेरे, मुझ को यह एहसास है"
रंजू जी, मुझे एकदम अपनी मां याद आ गईं जो चार साल पहले हम सब को छोड अनंत में चली गईं!!
-- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
^आज तू बहुत दूर है मुझसे, पर दिल के बहुत पास है।
तुम्हारी यादों की वह अमूल्य धरोहर
आज भी मेरे साथ है!^
माँ की ममता को रूपायित करती बहुत प्यारी कविता है। बधाई।
मां को लेकर दिल को छूने वाली अभिव्यक्ति .....
आज ही आपके इस ब्लोग का पता चला। आज आते ही इतनी प्यारी, दिल को छूती हुई "माँ" पर एक रचना पढ़ने को मिली। सच माँ जैसा कोई नहीं। मेरी माँ आज भी मेरे को सबसे पहले खाना डाल कर देती है। आपने बहुत सुन्दर लिखा।
जाने अनजाने माफ़ किया था मेरी हर ग़लती को,
हर शरारत को हँस के भुलाया था,
दुनिया हो जाए चाहे कितनी पराई,
पर तुमने मुझे कभी नही किया पराया था,
दिल जब भी भटका जीवन के सेहरा में,
तेरे प्यार ने ही नयी राह को दिखाया था
माँ का सानिध्य सदैव सुख देता है। यादों में ही सही...।
बहुत मार्मिक कविता है। इस चिटृठे के सभी लेख पढ़े। बहुत भावुक चिट्ठा है। मां उस समय बहुत याद आती है जब वह पास नहीं होती। आपके चिट्ठे पर आकर मां की यादों ने एक बार फिर रूला दिया।
बहुत ही अच्छा लिखा है.
धन्यवाद.
http://popularindia.blogspot.com
Ranju....
dil ko chu gai hai aapki rachana
बाकलमखुद में आपके बचपन में ही मां के दिवंगत होने की बात जानने के बाद यह कविता पढ़ कर नि:शब्द हो गया हूं। आंखें नम हो आयीं।
शब्द जहां पर खत्म हो गये
और कंठ स्वर मौन हो गया
उस स्थल पर क्षमता कब है
माँ के बारे में कुछ कहना
येह वह भाव दिशा देता है
जो जीवन के हर इक पग को
बहुत प्यारी यादें हैं ! रंजना जी !
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