क्या आपको याद है ...
होली के अवसर पर माँ आपके लिए क्या क्या करती थी , गुझिया बनाने से लेकर रंग और पिचकारी का इंतजाम , नए नए वस्त्र सिलवाना और अंत में घंटो रगड़ रगड़ के नहलाना धुलाना ! सारा त्यौहार उन दिनों माँ के इर्द गिर्द ही घूमता था ! त्यौहार और खुशियों का पर्याय होती थी तब माँ !
इस होली पर आप बच्चों के लिए ही सब कुछ कर रहे हैं या माँ भी उसमें शामिल है ! इस होली पर आपको शुभकामनायें देते हुए मैं , आपको माँ के बारे में थोडा अधिक ध्यान दिलाना चाहता हूँ !
आशा है बुरा न मानेंगे ! उन्हें आपकी अधिक जरूरत है .....
Saturday, February 27, 2010
Friday, February 12, 2010
मां
माँ तो है संगीत रूप
माँ गीत रूप, माँ नृत्य रूप
माँ भक्ति रूप, माँ सक्ति रूप
माँ की वाणी है मधु स्वरूप
गति है माँ की ताल रूप
सब कर्म बने थिरकन स्वरूप
व्यक्तित्व बना माँ का अनूप
शृद्धा की है वह प्रतिरूप
माँ के हैं अनगिनत रूप .
डॉ. मीना अग्रवाल
माँ गीत रूप, माँ नृत्य रूप
माँ भक्ति रूप, माँ सक्ति रूप
माँ की वाणी है मधु स्वरूप
गति है माँ की ताल रूप
सब कर्म बने थिरकन स्वरूप
व्यक्तित्व बना माँ का अनूप
शृद्धा की है वह प्रतिरूप
माँ के हैं अनगिनत रूप .
डॉ. मीना अग्रवाल
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