कहते हैं, क्यूं कि ईश्वर हर जगह नही हो सकता इसी लिये उसने माँ बनाई है ।
इस संदर्भ में मुझे बचपन में सुनी हुई एक कहानी याद आ रही है ।
एक माँ थी और उसका एक छोटा सा बेटा । माँ मेहनत करके बच्चे को बड़ा कर रही थी । कालांतर में बच्चा बडा़ हो गया । जवान हुआ । लायक भी हो गया । और जैसे कि होना चाहिये और होता है उसे प्रेम हो गया ।
प्रेमिका औऱ प्रेमी बहुत खुश । चाह हुई कि घर संसार बसायें । पर प्रेमिका नही चाहती थी कि उन दोनों के बीच कोई तीसरा भी हो । तो उसने अपने प्रेमी से पूछा, ”तुम मुझसे कितना प्यार करते हो “ उसने कहा , “मैं दुनिया में सबसे ज्यादा तुम्हें चाहता हूँ “। उसने कहा,” साबित कर सकोगे” उसने कहा , “हाँ “ । “तो तुम अपनी माँ का दिल लेकर आओ” प्रेमिका बोली ।
लडका तो प्रेम में पागल हो रहा था, घर आया और माँ को मार कर उसका दिल निकाल लिया । लडका दिल लेकर प्रेमिका को अर्पण कर ने जा रहा था कि उसे ठोकर लगी और हाथ से माँ का दिल फिसल कर गिर गया । लडका उसे झुक कर उठाने लगा तो दिल में से हलके से आवाज़ आई , “बेटा तुझे कहीं चोट तो नही आई” ।
Showing posts with label लघु कथा. Show all posts
Showing posts with label लघु कथा. Show all posts
Tuesday, June 23, 2009
Subscribe to:
Comments (Atom)