माँ पर लिखी यह रचना इतनी मार्मिक है कि मैंने आज बरसों बाद अपनी जननी को, जिसका चेहरा भी मुझे याद नहीं, खूब याद किया ...और बिलकुल अकेले में याद किया, जहाँ हम माँ बेटा दो ही थे, बंद कमरे में ....
कई बार, रातों में उठकर ,
दूध गरम कर लाती होंगी
मुझे खिलाने की चिंता में
खुद भूखी रह जाती होंगी
मेरी तकलीफों में अम्मा, सारी रात जागती होगी !
बरसों मन्नत मांग गरीबों को, भोजन करवाती होंगी !
सुबह सबेरे बड़े जतन से
वे मुझको नहलाती होंगी
नज़र न लग जाए, बेटे को
काला तिलक,लगाती होंगी
चूड़ी ,कंगन और सहेली, उनको कहाँ लुभाती होंगी ?
बड़ी बड़ी आँखों की पलके,मुझको ही सहलाती होंगी !
सबसे सुंदर चेहरे वाली,
घर में रौनक लाती होगी
अन्नपूर्णा अपने घर की !
सबको भोग लगाती होंगी
दूध मलीदा खिला के मुझको,स्वयं तृप्त हो जाती होंगी !
गोरे चेहरे वाली अम्मा ! रोज न्योछावर होती होंगी !
रात रात भर सो गीले में ,
मुझको गले लगाती होंगी
अपनी अंतिम बीमारी में ,
मुझको लेकर चिंतित होंगीं
बच्चा कैसे जी पायेगा , वे निश्चित ही रोई होंगी !
सबको प्यार बांटने वाली,अपना कष्ट छिपाती होंगी !
अपनी बीमारी में, चिंता
अपनी बीमारी में, चिंता
गहन कष्ट में भी, वे ऑंखें ,
मेरे कारण चिंतित होंगी !
अपने अंत समय में अम्मा ,मुझको गले लगाये होंगी !
मेरे नन्हें हाथ पकड़ कर ,फफक फफक कर रोई होंगी !
57 comments:
बेहद सुंदर कविता । माँ क्या क्या करती है बच्चों के लिये । माँ तेरे कितने उपकार ।
bahut bahut hi marmik ptastuti --------bhai ji
jise mila na maa ka pyaar
uska jivan kaisa hoga----
sachpost psdh rona aa aabhaar
poonam
aabhar, sarthak rachana . maa ka pyaar bhi maa ki terah anmol h.
Maa ki mamta aur pyar ka is sansar mein koi jawab nahi hai...
Maa Maa hoti hai.. Maa jaisa duja koi nahi..
bahut hi marmsparchi rachna prastuti ke liye aabhar!
माँ का सफेद दूध ही शरीर के अन्दर पहुंचकर लाल रंग के रक्त में परिवर्तित हो जीने का आधार बनता है. धरती पर माँ चंद्रमा की प्रतिनिधि होती है.चंद्रमा मन व सोच को प्रभावित करता है.अततः जिस अभागे के पास माँ न हो,उसे समय समय पर चन्द्र देव की उपासना करनी चाहिए. कविता हृदयस्पर्शी है.
ye to jinki maa nhi hoti unse pucho ki maa kya hoti h........
or jinki hote huye aakho se oojal ho jati h unse pucho wo he maa se hone or maa se bichdne ka dard jante h..........
सुंदर कविता
पोस्ट बहुत अच्छा लगा । धन्यवाद ।
आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 15/09/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
maa ki yad se dil bhar gai ...
आँखें भर आईं !
~अपने सुख सारे वार कर माँ जीती है सिर्फ़ बच्चे को निहार कर...
अपने दुख सब बिसरा देती... बच्चे की किल्कारी देखकर...~
बेहद सुंदर कविता । आँखें भर आईं .........
बहुत खूब.....
रब से उचा दर्जा माँ का ....
बहुत मार्मिक रचना
इतना प्यार करेगा कौन
माँ करती जितना ।
sundar kavita .ma se pyara koi nahi
सार्थक अभिव्यक्ति। मेरे नए पोस्ट 'समय सरगम' पर आपका इंतजार रहेगा।
उत्तम रचना , मार्मिक शब्दो से भरी हुई
सुंदर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट "बहती गंगा" पर आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद।
प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट 'बहती गंगा' पर आप सादर आमंत्रित हैं।
मुनव्वर राना जी की रचना है
ऐ अंधेरे देख ले, मुंह तेरा काला हो गया
मां ने आंखे खोल दी घर में उजाला हो गया।
माँ सिर्फ जननी ही नहीं है पालक और कल्याणकारी भी है .ब्रह्मा -विष्णु -शिव का मानवीकरण है .
माँ सिर्फ जननी ही नहीं है पालक और कल्याणकारी भी है .ब्रह्मा -विष्णु -शिव का मानवीकरण है .
ब्लॉग जगत में अनुनासिक की अनदेखी
अनुस्वार ,अनुनासिक की अनदेखी अपनी नाक की अनदेखी है .लेकिन नाक पे तवज्जो इतनी ज्यादा भी न हो
कि आदमी का मुंह ही गौण हो जाए .
भाषा की बुनावट कई मर्तबा व्यंजना में रहती है ,तंज में रहती है इसलिए दोस्तों बुरा न मनाएं .
आदमी अपने स्वभाव को छोड़ कर कहीं नहीं जा सकता .ये नहीं है कि हमारा ब्लॉग जगत में किसी से द्वेष है
केवल विशुद्धता की वजह से हम कई मर्तबा भिड़ जाते हैं .पता चलता है बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया .अब
डाल दिया तो डाल दिया .अपनी कहके ही हटेंगे आज .
जिनको परमात्मा ने सजा दी होती है वह नाक से बोलते हैं और मुंह से नहीं बोल सकते बोलते वक्त शब्दों को
खा भी जातें हैं जैसे अखिलेश जी के नेताजी हैं मुलायम अली .
लेकिन जहां ज़रूरी होता है वहां नाक से भी बोलना पड़ता है .भले हम नाक से बोलने के लिए अभिशप्त नहीं हैं .
अब कुछ शब्द प्रयोगों को लेतें हैं -
नाई ,बाई ,कसाई ......इनका बहुवचन बनाते समय "ईकारांत "को इकारांत हो जाता है यानी ई को इ हो जाएगा
.नाइयों ,बाइयों ,कसाइयों हो जाएगा .ऐसे ही "ऊकारांत "को "उकारांत " हो जाता है .
"उ " को उन्हें करेंगे तो हे को अनुनासिक हो जाता है यानी ने पे बिंदी आती है .
लेकिन ने पे यह नियम लागू नहीं होता है .ने को बिंदी नहीं आती है .बहने ,गहने पे बिंदी नहीं आयेगी .लेकिन
मेहमानों ,पहलवानों ,बहनों पे बिंदी आयेगी .
ब्लॉग जगत में आम गलतियां जो देखने में आ रहीं हैं वह यह हैं कि कई ब्लोगर नाक से नहीं बोल पा रहें हैं मुंह
से ही बोले जा रहें हैं .
में को न जाने कैसे मे लिखे जा रहें हैं .है और हैं में भी बहुत गोलमाल हो रहा है .
मम्मीजी जातीं "हैं ".यहाँ "हैं "आदर सूचक है मम्मी जाती है ठीक है बच्चा बोले तो लाड़ में आके .
अब देखिए हमने कहा में हमने ही रहेगा हमनें नहीं होगा .ने में बिंदी नहीं आती है .लेकिन उन्होंने में हे पे बिंदी
आयेगी ही आयेगी .अपने कई चिठ्ठाकार बहुत बढ़िया लिख रहें हैं लेकिन मुंह से बोले जा रहें हैं .नाक का
इस्तेमाल नहीं कर रहें हैं .
यह इस नव -मीडिया के भविष्य के लिए अच्छी बात नहीं है जो वैसे ही कईयों के निशाने पे है .
मेरा इरादा यहाँ किसी को भी छोटा करके आंकना नहीं है .ये मेरी स्वभावगत प्रतिक्रिया है .
कबीरा खड़ा सराय में चाहे सबकी खैर ,
ना काहू से दोस्ती ना काहू से वैर .
माँ!
मन से लिखी गयी रचना .सुंदरर है
बहुत ही अच्छा लिखा है। धन्यवाद।
bahut sundar rachna..
उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
दूध मलीदा खिला के मुझको,स्वयं तृप्त हो जाती होंगी !
गोरे चेहरे वाली अम्मा ! रोज न्योछावर होती होंगी !sunder bhawpurn rachna
माता की महिमा एवं प्यार का बखान करने में मै वाणी को असमर्थ पाता हूँ ,मत की महिमा का वर्णन करने के बेहतरीन प्रयाश ,कविता मन को गहराई तक छू गयी ,शुभकामनाये ,बहुत बहुत साधुवाद
बहुत उम्दा रचना ..भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब अच्छी रचना इस के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई
मेरी नई रचना
मेरे अपने
खुशबू
प्रेमविरह
THE WORD "MAA" IS GREATEST AND SWEETEST IN THE WORLD. LET'S ALL ENJOY THE SHOWER OF BLESSINGS FROM "MAA"
सुंदर रचना...बहुत बहुत बधाई...
रचना बहुत ही बेहतरीन है ....
भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब....माँ के प्रेम और माँ सा कुछ नहीं जहां में
आभार
भ्रमर ५
रात रात भर सो गीले में ,
मुझको गले लगाती होंगी
अपनी अंतिम बीमारी में ,
मुझको लेकर चिंतित होंगीं
बच्चा कैसे जी पायेगा , वे निश्चित ही रोई होंगी !
सबको प्यार बांटने वाली,अपना कष्ट छिपाती होंगी !
कटु सत्य पर अत्यंत मार्मिक, शुभकामनाएं.
रामराम.
sundar, adbhut, aur pyari yaadon ki mala
वाह...बहुत सुंदर रचना..।
बहुत सुंदर !
har shabd me mamta rachi basi hai ,adbhut ,man ko chhoo gayi .
har shabd me mamta rachi basi hai ,adbhut ,man ko chhoo gayi .
माँ की ममता के विभिन्न रंगों को अभिव्यक्त करती कविता।
बेहद सुंदर रचना..
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ!
माँ को प्रणाम..
Very Heartwarming. Made me miss my mom :)
सबसे सुंदर चेहरे वाली,
घर में रौनक लाती होगी
अन्नपूर्णा अपने घर की !
सबको भोग लगाती होंगी
दूध मलीदा खिला के मुझको,स्वयं तृप्त हो जाती होंगी !
गोरे चेहरे वाली अम्मा ! रोज न्योछावर होती होंगी !
bahut hi sundar shabd
भावातिरेक करने वाली सुंदर रचना है, मैं इसे अपने फेस बुक पर भी सहेज रहा हूँ, साभार.
बहुत सुन्दर। भावुक करती।
माँ तो बस माँ है...............
बहुत ही बेहतरीन रचना..........बधाई!
क्या बात है। लाजवाब लिखा है आपने।
लाजवाब लिखा है आपने....बेहतरीन रचना
माँ का प्रेम अतुलनीय है, अच्छी रचना है।
सतीश जी आपकी यह कविता बहुत ही भावुक रचना है आपने बहुत ही प्यार से माँ के लाड़ प्यार को दर्शाया है जो की बहुत ही सुन्दर है अब आप शब्दनगरी पर भी ग़ज़ल (माँ का एक सा चेहरा) जैसी रचनाएं पढ़ व लिख सकते है जिससे यह और भी पाठकों तक पहुंच सके .....
बहुत ही मार्मिक रचना
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