Sunday, May 20, 2012

कैसी होती है माँ ...??


माँ पर लिखी यह रचना इतनी मार्मिक है कि मैंने आज बरसों बाद अपनी जननी को, जिसका चेहरा भी मुझे याद नहीं, खूब याद किया ...और बिलकुल अकेले में याद किया, जहाँ हम माँ बेटा दो ही थे, बंद कमरे में ....
भगवान् से कहा कि मुझ से सब कुछ ले ले... पर माँ का चेहरा केवल एक बार दिखा भर दे...बस एक बार उन्हें प्यार करने का दिल करता है, केवल एक बार ...कैसी होती है माँ ...??

कई बार, रातों में उठकर ,
दूध गरम कर लाती होंगी 
मुझे खिलाने की चिंता में 
खुद भूखी रह जाती होंगी 
मेरी  तकलीफों  में अम्मा,  सारी रात  जागती होगी   !
बरसों मन्नत मांग गरीबों को, भोजन करवाती होंगी !

सुबह सबेरे बड़े जतन से 
वे मुझको नहलाती होंगी
नज़र न लग जाए, बेटे को 
काला तिलक,लगाती होंगी 
चूड़ी ,कंगन और सहेली, उनको कहाँ लुभाती होंगी  ?
बड़ी बड़ी आँखों की पलके,मुझको ही सहलाती होंगी !

सबसे  सुंदर चेहरे वाली,
घर में रौनक लाती होगी  
अन्नपूर्णा अपने घर की ! 
सबको भोग लगाती होंगी 
दूध मलीदा खिला के मुझको,स्वयं  तृप्त हो जाती होंगी !
गोरे चेहरे वाली अम्मा  !  रोज  न्योछावर होती होंगी !

रात रात भर सो गीले में ,
मुझको गले लगाती  होंगी 
अपनी अंतिम बीमारी में ,
मुझको लेकर चिंतित होंगीं 
बच्चा  कैसे  जी   पायेगा , वे  निश्चित ही रोई  होंगी !
सबको प्यार बांटने वाली,अपना कष्ट छिपाती होंगी !


अपनी बीमारी  में, चिंता
सिर्फ लाडले ,की ही होगी !
गहन कष्ट में भी, वे ऑंखें , 
मेरे कारण चिंतित  होंगी   !
अपने अंत समय में अम्मा ,मुझको गले लगाये होंगी !
मेरे नन्हें हाथ पकड़ कर ,फफक फफक कर रोई होंगी !

57 comments:

Asha Joglekar said...

बेहद सुंदर कविता । माँ क्या क्या करती है बच्चों के लिये । माँ तेरे कितने उपकार ।

पूनम श्रीवास्तव said...

bahut bahut hi marmik ptastuti --------bhai ji
jise mila na maa ka pyaar

uska jivan kaisa hoga----
sachpost psdh rona aa aabhaar
poonam

bhuneshwari malot said...

aabhar, sarthak rachana . maa ka pyaar bhi maa ki terah anmol h.

कविता रावत said...

Maa ki mamta aur pyar ka is sansar mein koi jawab nahi hai...
Maa Maa hoti hai.. Maa jaisa duja koi nahi..
bahut hi marmsparchi rachna prastuti ke liye aabhar!

ज्योतिषाचार्य ललित मोहन कगड़ियाल,, said...

माँ का सफेद दूध ही शरीर के अन्दर पहुंचकर लाल रंग के रक्त में परिवर्तित हो जीने का आधार बनता है. धरती पर माँ चंद्रमा की प्रतिनिधि होती है.चंद्रमा मन व सोच को प्रभावित करता है.अततः जिस अभागे के पास माँ न हो,उसे समय समय पर चन्द्र देव की उपासना करनी चाहिए. कविता हृदयस्पर्शी है.

Unknown said...

ye to jinki maa nhi hoti unse pucho ki maa kya hoti h........
or jinki hote huye aakho se oojal ho jati h unse pucho wo he maa se hone or maa se bichdne ka dard jante h..........

SM said...

सुंदर कविता

प्रेम सरोवर said...

पोस्ट बहुत अच्छा लगा । धन्यवाद ।

yashoda Agrawal said...

आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 15/09/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

Dr.NISHA MAHARANA said...

maa ki yad se dil bhar gai ...

Anita Lalit (अनिता ललित ) said...

आँखें भर आईं !
~अपने सुख सारे वार कर माँ जीती है सिर्फ़ बच्चे को निहार कर...
अपने दुख सब बिसरा देती... बच्चे की किल्कारी देखकर...~

Dr. sandhya tiwari said...

बेहद सुंदर कविता । आँखें भर आईं .........

Nirbhay Jain said...

बहुत खूब.....
रब से उचा दर्जा माँ का ....

Onkar said...

बहुत मार्मिक रचना

Asha Joglekar said...

इतना प्यार करेगा कौन
माँ करती जितना ।

shashi purwar said...

sundar kavita .ma se pyara koi nahi

प्रेम सरोवर said...

सार्थक अभिव्यक्ति। मेरे नए पोस्ट 'समय सरगम' पर आपका इंतजार रहेगा।

travel ufo said...

उत्तम रचना , मार्मिक शब्दो से भरी हुई

प्रेम सरोवर said...

सुंदर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट "बहती गंगा" पर आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद।

प्रेम सरोवर said...

प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट 'बहती गंगा' पर आप सादर आमंत्रित हैं।

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

मुनव्वर राना जी की रचना है

ऐ अंधेरे देख ले, मुंह तेरा काला हो गया
मां ने आंखे खोल दी घर में उजाला हो गया।

virendra sharma said...


माँ सिर्फ जननी ही नहीं है पालक और कल्याणकारी भी है .ब्रह्मा -विष्णु -शिव का मानवीकरण है .

virendra sharma said...


माँ सिर्फ जननी ही नहीं है पालक और कल्याणकारी भी है .ब्रह्मा -विष्णु -शिव का मानवीकरण है .

virendra sharma said...

ब्लॉग जगत में अनुनासिक की अनदेखी

अनुस्वार ,अनुनासिक की अनदेखी अपनी नाक की अनदेखी है .लेकिन नाक पे तवज्जो इतनी ज्यादा भी न हो

कि आदमी का मुंह ही गौण हो जाए .

भाषा की बुनावट कई मर्तबा व्यंजना में रहती है ,तंज में रहती है इसलिए दोस्तों बुरा न मनाएं .



आदमी अपने स्वभाव को छोड़ कर कहीं नहीं जा सकता .ये नहीं है कि हमारा ब्लॉग जगत में किसी से द्वेष है

केवल विशुद्धता की वजह से हम कई मर्तबा भिड़ जाते हैं .पता चलता है बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया .अब

डाल दिया तो डाल दिया .अपनी कहके ही हटेंगे आज .

जिनको परमात्मा ने सजा दी होती है वह नाक से बोलते हैं और मुंह से नहीं बोल सकते बोलते वक्त शब्दों को

खा भी जातें हैं जैसे अखिलेश जी के नेताजी हैं मुलायम अली .

लेकिन जहां ज़रूरी होता है वहां नाक से भी बोलना पड़ता है .भले हम नाक से बोलने के लिए अभिशप्त नहीं हैं .

अब कुछ शब्द प्रयोगों को लेतें हैं -

नाई ,बाई ,कसाई ......इनका बहुवचन बनाते समय "ईकारांत "को इकारांत हो जाता है यानी ई को इ हो जाएगा

.नाइयों ,बाइयों ,कसाइयों हो जाएगा .ऐसे ही "ऊकारांत "को "उकारांत " हो जाता है .

"उ " को उन्हें करेंगे तो हे को अनुनासिक हो जाता है यानी ने पे बिंदी आती है .

लेकिन ने पे यह नियम लागू नहीं होता है .ने को बिंदी नहीं आती है .बहने ,गहने पे बिंदी नहीं आयेगी .लेकिन

मेहमानों ,पहलवानों ,बहनों पे बिंदी आयेगी .

ब्लॉग जगत में आम गलतियां जो देखने में आ रहीं हैं वह यह हैं कि कई ब्लोगर नाक से नहीं बोल पा रहें हैं मुंह

से ही बोले जा रहें हैं .

में को न जाने कैसे मे लिखे जा रहें हैं .है और हैं में भी बहुत गोलमाल हो रहा है .

मम्मीजी जातीं "हैं ".यहाँ "हैं "आदर सूचक है मम्मी जाती है ठीक है बच्चा बोले तो लाड़ में आके .

अब देखिए हमने कहा में हमने ही रहेगा हमनें नहीं होगा .ने में बिंदी नहीं आती है .लेकिन उन्होंने में हे पे बिंदी

आयेगी ही आयेगी .अपने कई चिठ्ठाकार बहुत बढ़िया लिख रहें हैं लेकिन मुंह से बोले जा रहें हैं .नाक का

इस्तेमाल नहीं कर रहें हैं .

यह इस नव -मीडिया के भविष्य के लिए अच्छी बात नहीं है जो वैसे ही कईयों के निशाने पे है .

मेरा इरादा यहाँ किसी को भी छोटा करके आंकना नहीं है .ये मेरी स्वभावगत प्रतिक्रिया है .

कबीरा खड़ा सराय में चाहे सबकी खैर ,

ना काहू से दोस्ती ना काहू से वैर .

Coral said...

माँ!

Mamta Bajpai said...

मन से लिखी गयी रचना .सुंदरर है

प्रेम सरोवर said...

बहुत ही अच्छा लिखा है। धन्यवाद।

kavita verma said...

bahut sundar rachna..

प्रेम सरोवर said...

उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

Jyoti khare said...

दूध मलीदा खिला के मुझको,स्वयं तृप्त हो जाती होंगी !
गोरे चेहरे वाली अम्मा ! रोज न्योछावर होती होंगी !sunder bhawpurn rachna

लोकेश सिंह said...

माता की महिमा एवं प्यार का बखान करने में मै वाणी को असमर्थ पाता हूँ ,मत की महिमा का वर्णन करने के बेहतरीन प्रयाश ,कविता मन को गहराई तक छू गयी ,शुभकामनाये ,बहुत बहुत साधुवाद

Dinesh pareek said...

बहुत उम्दा रचना ..भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब अच्छी रचना इस के लिए आपको बहुत - बहुत बधाई

मेरी नई रचना

मेरे अपने

खुशबू
प्रेमविरह

A.G.Krishnan said...

THE WORD "MAA" IS GREATEST AND SWEETEST IN THE WORLD. LET'S ALL ENJOY THE SHOWER OF BLESSINGS FROM "MAA"

कंचनलता चतुर्वेदी said...

सुंदर रचना...बहुत बहुत बधाई...

avanti singh said...

रचना बहुत ही बेहतरीन है ....

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

भाव पूर्ण रचना .. बहुत खूब....माँ के प्रेम और माँ सा कुछ नहीं जहां में
आभार
भ्रमर ५

ताऊ रामपुरिया said...

रात रात भर सो गीले में ,
मुझको गले लगाती होंगी
अपनी अंतिम बीमारी में ,
मुझको लेकर चिंतित होंगीं
बच्चा कैसे जी पायेगा , वे निश्चित ही रोई होंगी !
सबको प्यार बांटने वाली,अपना कष्ट छिपाती होंगी !

कटु सत्य पर अत्यंत मार्मिक, शुभकामनाएं.

रामराम.

Ramakant Singh said...

sundar, adbhut, aur pyari yaadon ki mala

राजेंद्र अवस्थी. said...

वाह...बहुत सुंदर रचना..।

राजेंद्र अवस्थी. said...
This comment has been removed by the author.
सुशील कुमार जोशी said...

बहुत सुंदर !

ज्योति सिंह said...

har shabd me mamta rachi basi hai ,adbhut ,man ko chhoo gayi .

ज्योति सिंह said...

har shabd me mamta rachi basi hai ,adbhut ,man ko chhoo gayi .

संतोष पाण्डेय said...

माँ की ममता के विभिन्न रंगों को अभिव्यक्त करती कविता।

कविता रावत said...

बेहद सुंदर रचना..
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Anita said...

माँ को प्रणाम..

Unknown said...

Very Heartwarming. Made me miss my mom :)

Yogi Saraswat said...

सबसे सुंदर चेहरे वाली,
घर में रौनक लाती होगी
अन्नपूर्णा अपने घर की !
सबको भोग लगाती होंगी
दूध मलीदा खिला के मुझको,स्वयं तृप्त हो जाती होंगी !
गोरे चेहरे वाली अम्मा ! रोज न्योछावर होती होंगी !

bahut hi sundar shabd

पुरुषोत्तम पाण्डेय said...

भावातिरेक करने वाली सुंदर रचना है, मैं इसे अपने फेस बुक पर भी सहेज रहा हूँ, साभार.

Harihar (विकेश कुमार बडोला) said...

बहुत सुन्‍दर। भावुक करती।

सूफ़ी ध्यान श्री said...

माँ तो बस माँ है...............
बहुत ही बेहतरीन रचना..........बधाई!

Mithilesh dubey said...

क्या बात है। लाजवाब लिखा है आपने।

Tarun / तरुण / தருண் said...
This comment has been removed by the author.
Surendra shukla" Bhramar"5 said...

लाजवाब लिखा है आपने....बेहतरीन रचना

Manish Pandey said...

माँ का प्रेम अतुलनीय है, अच्छी रचना है।

Unknown said...

सतीश जी आपकी यह कविता बहुत ही भावुक रचना है आपने बहुत ही प्यार से माँ के लाड़ प्यार को दर्शाया है जो की बहुत ही सुन्दर है अब आप शब्दनगरी पर भी ग़ज़ल (माँ का एक सा चेहरा) जैसी रचनाएं पढ़ व लिख सकते है जिससे यह और भी पाठकों तक पहुंच सके .....

आलोक सिन्हा said...

बहुत ही मार्मिक रचना